लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों को नैतिकता का पाठ पढ़ाया। मंत्रियों को ट्रांसफर-पोस्टिंग में भ्रष्टाचार से दूर रहने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि होने के नाते सार्वजनिक जीवन से जुड़े दायित्वों एवं कार्यों में परिवार का किसी भी स्तर पर हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। मंत्री निजी स्टाफ पर भी विशेष ध्यान देते हुए उनकी गतिविधियों पर भी नजर रखें।
सीएम योगी ने एनेक्सी स्थित अपने कार्यालय में नए और पुराने मंत्रियों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि जनसेवा से बढ़कर धर्म और पुण्य का कोई कार्य नहीं है। प्रतिबद्धता और निष्ठा के साथ दायित्वों का निर्वहन करने से संतुष्टि मिलती है।
सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता एवं ईमानदारी बेहद महत्वपूर्ण होती है। कार्यों को नीति एवं नियमों से संपादित किया जाए। समयबद्धता पर बल देते हुए कहा कि फाइलों का निस्तारण तीन दिन में किया जाए। किसी भी स्थिति में पत्रावलियां लंबित न रहें। सभी मंत्री समय से अपने कार्यालय में उपस्थित रहकर जरूरी काम निपटाएं। हमारी कार्य संस्कृति सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी और पारदर्शिता का उदाहरण बननी चाहिए।
नियमित जनसुनवाई व सीएम हेल्पलाइन की समीक्षा करें
योगी ने कहा, जनप्रतिनिधि होने के नाते जनता से संपर्क एवं संवाद कायम रखें। जनता की शिकायतों व समस्याओं के समाधान के लिए नियमित जनसुनवाई करें। आईजीआरएस तथा सीएम हेल्पलाइन की साप्ताहिक समीक्षा करें। समस्याओं के निस्तारण की प्रगति पर लगातार ध्यान दें। विभागीय कार्यों के साथ अपने प्रभार के जिले की प्रगति की निरंतर समीक्षा आवश्यक है।
सरकारी गेस्ट हाउस में रुकें, सादगी का उदाहरण पेश करें
मुख्यमंत्री ने मंत्रियों से अपेक्षा जताई कि जिले के भ्रमण के दौरान विकास योजनाओं का भौतिक सत्यापन करते हुए जनता से फीडबैक लें। जिले में सरकार के प्रतिनिधि के रूप में मंत्रियों के कार्य व्यवहार और आचरण पर सभी की नजर रहती है। ऐसे में सादगी और शुचिता का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए जहां तक संभव हो, सरकारी गेस्ट हाउस में रुकें। इस दौरान अनावश्यक लोगों की भीड़ न रहे। जिला प्रवास के दौरान जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक की जाए। जिले की प्रगति के संबंध में प्रत्येक माह रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।