नई दिल्ली: नवरात्र के दूसरे दिन (Navratri Day 2) मां दुर्गा के भक्त देवी ब्रह्मचारिणी को पूजते हैं, मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप देवी ब्रह्मचारिणी का है जो पूर्ण रूप से ज्योतिर्मय हैं, माता ब्रह्मचारिणी के नाम का अर्थ ब्रह्म मतलब “तपस्या” और “चारिणी” का अर्थ “आचरण” करने वाली देवी होता है, मान्यता के अनुसार इन्हें तप की देवी भी कहा जाता है क्योंकि इन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी ।
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप
मां ब्रह्मचारिणी को साक्षात ब्रह्म का स्वरूप माना जाता है और ये तपस्या की प्रतिमूर्ति भी हैं कहते हैं कि मां ब्रह्मचारिणी के स्वरूप की उपासना से सहज ही सिद्धि प्राप्ति होती है, मां ब्रह्मचारिणी सदैव शांत और संसार से विरक्त होकर तपस्या में लीन रहती हैं, कठोर तप के कारण इनके मुख पर अद्भूद तेज और आभामंडल विद्यमान रहता है, मां के हाथों में अक्ष माला और कमंडल होता है।
क्या है मां ब्रह्मचारिणी की कहानी ?
शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया और नारद के कहने पर पार्वती ने शिव को पति मानकर उन्हें पाने के लिए कठोर तपस्या की। हजारों सालों तक तपस्या करने के बाद इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा नवरात्र के दूसरे दिन को इसी तप को प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।
मां ब्रह्मचारिणी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारद जी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें ब्रह्मचारिणी नाम से जाना गया एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया, कुछ दिनों तक कठिन व्रत रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहे तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं, इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए, कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताया, सराहना की और कहा- “हे देवी आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की। यह आप से ही संभव थी, आपकी मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे। अब तपस्या छोड़कर घर लौट जाओ और जल्द ही आपके पिता आपको लेने आ रहे हैं”।
माता ब्रह्मचारिणी की कथा
देवी ब्रह्मचारिणी की कथा का सार यह है कि जीवन के कठिन संघर्षों में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करके आप अपने जीवन में धन-समृद्धि, खुशहाली ला सकते है देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने वाले व्यक्ति को अपने हर कार्य में जीत हासिल होती है। वह सर्वत्र विजयी होती है अगर आप भी किसी कार्य में अपनी जीत सुनिश्चित करना चाहते हैं, तो आज के दिन आपको देवी ब्रह्मचारिणी के मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए।