आइंस्टीन को चुनौती देने वाले वशिष्ठ नारायण सिंह का निधन, मौत के बाद भी नहीं मिला एम्बुलेंस
पटना : भारत के गणितिज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह (Vashishtha Narayan Singh) का गुरूवार को निधन हो गया। बताया जा रहा है कि उनकी तबियत कुछ दिनों से खराब तो चल ही रही थी, लेकिन आज सुबह अचानक उनके मुँह से खून निकलने लगा। परिजनों ने उनकी यह हालत देखी तो उनको को पटना के पीएमसीएच अस्पताल ले गए, जहां उनका निधन हो गया। परिजनों का आरोप है कि उनकी मृत्यू के दो घंटे तक उनको एम्बुलेंस नही मिली।
वशिष्ठ नारायण सिंह के निधन पर सीएम नीतीश कुमार ने जताया शोक
नारायण सिंह की मृत्यू पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शोक जताया है। बताया जा रहा है कि इससे पहले जब इनकी तबियत बिगड़ी थी तब उनको अस्पताल में देखने के लिए कई नेता पहुंचें थे। उनमें नीतीश कुमार के साथ-साथ केन्द्रीय मंत्री तक उनको देखने अस्पताल गए थे।
भोजपुर जिले के बसंतपुर में हुआ था वशिष्ठ नारायण सिंह का जन्म
नारायण सिह का जन्म 2 अप्रैल 1942 को बिहार के भोजपुर जिले के बसंतपुर में हुआ था। 1962 में इन्होंने बिहार में ही मैट्रिक की परीक्षा पास की। इन्होंने कैलिपोर्निया विश्वविद्यालय से गणित में पीएचडी किया था। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वे भारत आए लेकिन जल्द ही वापस अमेरिका चले गए। लेकिन मन न लगने के कारण ये वापस भारत लौट आए। वाशिंगटन में ये गणित के प्रोफेसर भी रह चुके हैं।
विवाह के बाद पत्नी ने ले लिया था तलाक
सन् 1973 में इन्होंने विवाह किया लेकिन इनकी पत्नी ने इनसे तलाक ले लिया। क्योंकि 1974 में इनको मानसिक दौरे आने लगे थे। नारायण सिंह जब दौबारा भारत लौटे तब इन्होंने आईआईटी कानपुर, आईआईटी बंबई और आईएसइआई कोलकाता में नौकरी कर ली। बताया जाता है कि अमेरिका इनके इलाज की पूरी ज़िम्मेदारी लेने को तैयार था। लेकिन नारायण सिंह के परिजनों ने बताया कि सरकार ने उन्हें अमेरिका नही जाने दिया।
बता दें कि नारायण सिंह ने आइंस्टीन तक को चुनौती दे डाली थी। नारायण सिंह की खास बात यह थी कि वह जब भी किसी प्रोफेसर को गलत गणित पढ़ाते देखते थे तो उनको टोक दिया करते थे। यह उन्होंने तब किया जब वह खुद छात्र थे। इसकी जानकारी जब प्रिसिंपल को हुई तब उन्होंने नारायण सिंह की नॉलेज चेक करने के लिए अलग से उनका टेस्ट लिया। इस टेस्ट को पास करने के बाद उन्होंने सारे अकादमिक रिकार्ड तोड़ डाले थे।