नई दिल्ली: प्रचंड बहुमत के साथ एक बार फिर से सत्ता में वापसी के बाद मोदी सरकार आज अपने दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश रही है। इस बार के बजट में कई बातें खास हैं। पहली ये कि इस बार बजट देश की पहली महिला वित्त मंत्री पेश कर रही हैं, दूसरी ये कि इस बार बजट के दस्तावेज ब्रीफकेस या लैदर बैग में नहीं बल्कि एक लाल मखमली कपड़े में कवर किए गए हैं, जिसे बजट नहीं ‘बही-खाता’ कहा गया है। इसी के साथ सालों से चली आ रही अंग्रेजी परंपरा आज खत्म हो गई है।
बता दें कि भारत का बजट ब्रिटेन के बजट के साथ ही प्रस्तुत होता था। साल 1733 में ब्रिटिश सरकार के प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री रॉबर्ट वॉलपोल ने जब बजट पेश किया तो उनके हाथ में एक चमड़े का थैला था। इस थैले में बजट के दस्तावेज थे। चमड़े के इस थैले को फ्रेंच भाषा में बुजेट कहा जाता था, इसी के आधार पर इस प्रकिया को बजट कहा गया।
बैग के बाद 1860 में पहली बार लाल सूटकेस का इस्तेमाल किया गया। उसक वक्त ब्रिटिश बजट चीफ विलिमय ग्लैडस्टोन ने बजट पेश किया था। उसके बद से बजट पेश करने के लिए लगातार इसी सूटकेस का प्रयोग किया जाता था। 2010 में इसे आधिकारिक तौर पर रिटायर किया गया।
भारत में देश के पहले वित्त मंत्री आर.के शानमुखम चेट्टी ने 26 जनवरी 1947 को पहली बार देश का बजट पेश किया। उस समय वह लेदर के थैले के साथ संसद पहुंचे। इसके बाद कई सालों तक इसी परंपरा के साथ बजट पेश होता रहा।
पंडित जवाहर लाल नेहरू ने बदली परंपरा
लेदर के थैले की ये परंपरा पंडित जवाहर लाल नेहरू की सरकार में बदली। साल 1958 में नेहरू ने काले रंग के ब्रीफकेस में बजट पेश किया। 1991 में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने जब बजट पेश किया तो ब्रीफकेस का रंग बदलकर लाल कर दिया गया था। उसके बाद से लगातार लाल ब्रीफकेस में ही बजट पेश किया जाता रहा है।
अब लाल ब्रीफकेस की परंपरा को बदलते हुए मोदी सरकार ने इसे लाल मखमली कपड़े में कर दिया है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल से ब्रीफकेस और बैग दोनों ही गायब हो गए हैं, साथ ही बजट को भी ‘बहीखाता’ कर दिया गया है।
गुलामी से आजादी
Chief Economic Advisor Krishnamurthy Subramanian on FM Nirmala Sitharaman keeping budget documents in four fold red cloth instead of a briefcase: It is in Indian tradition. It symbolizes our departure from slavery of Western thought. It is not a budget but a 'bahi khata'(ledger) pic.twitter.com/ZhXdmnfbvl
— ANI (@ANI) July 5, 2019
मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वी. सुब्रमण्यम ने कहा है कि ये गुलामी व पश्चिम के विचारों से भारत की आजादी को प्रदर्शित करती है। ये भारतीय परंपरा है। सुब्रमण्यम ने ये भी कह दिया कि यह बजट नहीं, बही-खाता है। इसका मतलब ये है कि लेदर के बैग यानि कि बुजेट के आधार पर जिसे बजट कहा जाता था, उसे अब लाल मखमली कपड़े के आधार पर बही-खाता कहा गया है।