Ajit Pawar को सिंचाई घोटाले में मिली राहत
मुंबई – महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ सरकार बनाने के साथ ही अजित पवार को राहत मिल गई है। महाराष्ट्र के एंटी करप्शन ब्यूरो ने अजित पवार को 70 हजार करोड़ के सिंचाई घोटाले में क्लीन चिट दे दी है।
एसीबी ने यह भी कहा है कि मामले सशर्त बंद किए गए हैं
एसीबी ने कहा है। सिंचाई घोटाले के 9 मामलों में अजित पवार के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है। इसलिए उन्हें क्लीनचिट दी गई है। एसीबी ने यह भी कहा है कि मामले सशर्त बंद किए गए हैं। यानी कोई नई जानकारी सामने आने पर इन्हें जांच के लिए दोबारा खोला जा सकता है।
इसके अलावा सिंचाई घोटाले से जुड़े 3 हजार टेंडरों की जांच जारी है। ये मामला उस वक्त का है जब राज्य में कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन की सरकार थी। और अजित पवार सिंचाई मंत्री थे।
क्या है महाराष्ट्र का सिंचाई घोटाला
आपको बताते हैं कि क्या है महाराष्ट्र का सिंचाई घोटाला। ये घोटाला उस वक्त हुआ जब राज्य में कांग्रेस और एनसीपी की सरकार थी। 1999 से 2014 के बीच इस दौरान कई मौकों पर अजित पवार सिंचाई मंत्री थे।
आर्थिक सर्वेक्षण में सामने आया था कि एक दशक में सिंचाई विभाग की अलग-अलग परियोजनाओं में करीब 70 हजार रुपए खर्च किए गए।लेकिन राज्य के सिंचाई क्षेत्र में महज 0.1 फीसदी का विस्तार हुआ। सिंचाई परियोजनाओं के ठेके नियमों को ताक पर रखकर कुछ चुनिंदा लोगों को दिए गए। साल 2012 में घोटाले का ये मामला सामने आया।
1999-2000 में 35 हजार करोड़ करोड़ रुपये की अनियमिततताएं सामने आईं थीं
गौरतलब है कि वर्ष 2012 में यह घोटाला सामने आया था। इसमें आरोप लगा था कि महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के शासनकाल के दौरान 1999-2000 में 35 हजार करोड़ करोड़ रुपये की अनियमिततताएं सामने आईं थीं। माना जा रहा था कि अजित पवार से ईडी पूछताछ कर सकता है।
उपमुख्यमंत्री रहते हुए प्रॉजेक्ट्स और उनके बढ़ते हुए बजट को मंजूरी दी थी
ईडी पवार पर मनी लॉन्ड्रिंग का चार्ज भी लगाने पर विचार कर रहा था। एसीबी ने इस केस में कुछ सरकारी अधिकारियों को गिरफ्तार भी किया था। अजित पवार पर ऐसे आरोप थे कि उपमुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने सिंचाई से जुड़े हर तरह के प्रॉजेक्ट्स और उनके बढ़ते हुए बजट को मंजूरी दी थी।
अजित पवार महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक घोटाले में भी आरोपी
इसी के चलते वह शक के दायरे में आ गए थे। इस मामले में सुनील तटकरे भी आरोपी हैं। अजित पवार सिंचाई घोटाले के अलावा अजित पवार महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक घोटाले में भी आरोपी हैं।
1999 और 2014 के बीच अजित पवार इस सरकार में अलग-अलग मौकों पर सिंचाई मंत्री थे।
यह मामला उस वक्त का है, जब राज्य में कांग्रेस और राकांपा की गठबंधन सरकार थी। 1999 और 2014 के बीच अजित इस सरकार में अलग-अलग मौकों पर सिंचाई मंत्री थे।
आर्थिक सर्वेक्षण में यह सामने आया था कि एक दशक में सिंचाई की अलग-अलग परियोजनाओं पर 70 हजार करोड़ रुपए खर्च होने के बावजूद राज्य में सिंचाई क्षेत्र का विस्तार महज 0.1% हुआ। परियोजनाओं के ठेके नियमों को ताक पर रखकर कुछ चुनिंदा लोगों को दिए गए।
सिंचाई विभाग के पूर्व इंजीनियर ने चिट्ठी लिख कर आरोप लगाए थे
इस मामले में 3000 टेंडर की जांच हुई थी। सिंचाई विभाग के एक पूर्व इंजीनियर ने तो चिट्ठी लिख कर ये भी आरोप लगाए थे कि नेताओं के दबाव में कई ऐसे डैम बनाए गए, जिनकी जरूरत नहीं थी। इंजीनियर ने ये भी लिखा था, कि कई डैम कमजोर बनाए गए। 2014 में महाराष्ट्र में सत्ता में आने से पहले चुनाव प्रचार के समय भाजपा ने सिंचाई घोटाले को जबरदस्त मुद्दा बनाया था।