नई दिल्ली : चैम्पयनशिप में गोल्ड जितने वाली दुनिया की पहली महिला मुक्केबाज़, मैरीकॉम को 2019 विशव महिला चैम्पयनशिप के सेमीफइनल में हार का सामना करना पड़ा है। सेमीफइनल में उन्हें सिर्फ कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ेगा। सेमीफाइनल में दूसरी वरीयता प्राप्त तुर्की की बुसेनाज साकिरोग्लू से 1-4 के अंतर से हराते हुए मैरीकॉम विश्व महिला मुक्केबाजी चैंपियनशिप में अपने सातवें गोल्ड मेडल से चूक गईं। अपनी हार से मैरी कॉम थोड़ी नाखुश और दुखी दिखी।
मैरी कॉम का जीवन सफर
मैरीकॉम का जन्म 1 मार्च 1983 को मणिपुर भारत में चुराचांदपुर जिले में एक गरीब किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लोकटक क्रिश्चियन मॉडल स्कूल और सेंट हेवियर स्कूल से प्राप्त की। उच्च शिक्षा के लिए मैरीकॉम इम्फाल चली गयी। उनको बचपन से ही खेलो में बहुत रुचि थी।मैरीकॉम ने बॉक्सिंग की शुरुआत 18 साल में कर दी थी। बॉक्सिंग में दिलचस्पी लेने के बाद मेरी कॉम जी-जान से इसकी तैयारी में लग गई।
घरवालों को बिना बताये शुरू की थी ट्रेनिंग
1998 में मणिपुर के बॉक्सर डिंगको सिंह ने एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था। इससे मेरी कॉम को बहुत प्रेरणा मिली। घरवालों को मनाना इतना आसान नहीं था। मणिपुर में बॉक्सिंग को पुरुषों का खेल समझा जाता था। उन्होंने अपने घर वालों को बिना बताए ही बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी थी। वो देर रात तक बॉक्सिंग रिंग में प्रैक्टिस करती रहती थी। सन 2000 में मैरी कॉम ने विमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप मणिपुर में जीत हासिल की। उनका नाम मणिपुर के सभी अखबारों में प्रकाशित हुआ, तब जाकर उनके घर वालों को मैरीकॉम के बॉक्सिंग के शौक के बारे में पता चला। उनके घर के सदस्य उनकी जीत पर बहुत खुश थे।
8 पदक व कई अवार्ड मैरी कॉम के नाम
मैरीकॉम भारत की दिग्गज बॉक्सिंग महिला है। मैरीकॉम कुल 8 पदक जीत चुकी है 6 गोल्ड ,1 सिल्वर ,1कॉन्ज उसके नाम हैं। इसके अलावा उन्हें कई अवार्ड से भी नवाजा गया है। 2003 में उन्हें अर्जुन अवार्ड, 2006 में पदमश्री, 2009 में राजीव गाँधी खेल रतन और 2013 में पक्षभूषण अवार्ड से नवाजा जा चूका है | चैम्पयनशिप में गोल्ड जितने वाली वह दुनिया की पहली बॉक्सिंग महिला है।