नई दिल्ली- लोकसभा में आज यानी मंगलवार को गृह मंत्रालय की ओर से एक रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें कहा गया है कि बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद सीमा पार घुसपैठ में 43% तक की कमी आई है। घाटी में आतंकी घटनाओं में 28% तक की कमी आई, तो वहीं 2018 की तुलना में 22% ज्यादा आतंकी मारे गए। रिपोर्ट में यह भा कहा गया हा कि आतंकी संगठनों में स्थानीय युवाओं की भर्ती में 40% तक की कमी हुई। यही नहीं राज्य में आतंकवाद रोकने के लिए आतंरिक सुरक्षा को बेहतर बनाया गया है। खासकर सरकार ने बॉर्डर फेंसिंग, खुफिया सुधार, सर्च अभियान में सहयोग और सुरक्षाबलों के पास अत्याधुनिक हथियार मुहैया कराने जैसे कई अहम फैसले लिए गए है।
सही दिशा में केंद्र की नीति?
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के बाद क्य़ा ये मान लिया जाए कि जम्मू-कश्मीर पर जो नीति केन्द्र सरकार ने अपनाई है वो सही दिशा में जा रही है। अलगाववादियों पर कानूनी नकेल का ही नतीजा है कि घाटी में जहर उगलने वाले बड़े अलगाववादी नेता या तो जेल में हैं या फिर नज़रबंद हैं। टेरर फंडिंग के जरिए जुटाई गई उनकी अकूत संपत्ति सरकार के कब्जे में है। वहीं, ऑपरेशन ऑल आउट की कामयाबी भी किसी से छिपी नहीं है। चुनाव नतीजों का दिन यानि 23 मई आतंकी सरगना जाकिर मूसा की मौत की खबर लाया और इस साल अब तक 100 से ज्यादा आतंकी मारे जा चुके हैं।
2 हजार से ज्यादा आतंकी मारे गए
साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के आंकड़ों की मानें तो 2014 से लेकर 13 फरवरी 2019 तक कुल 2,381 आतंकवादी मारे गए है। मतलब साफ है कि पाकिस्तान में बैठे आतंक के आका भले ही ब्रेनवाश कर आतंकवादियों को कश्मीर घाटी में भेज रहे हों पर उनका खात्मा भी लगातार हो रहा है और इसमें अहम भूमिका है आतंक के खिलाफ 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 में हुई एयर स्ट्राइक की।