नई दिल्लीः अमेरिकी सेनाओं ने अफगानिस्तान के एक बड़े हिस्से को तालिबान लड़ाकों से आजाद कराया था। लेकिन तालिबान एक बार फिर अफगानिस्तान पर काबिज होने की मंशा सजों रहा है।अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने के लिए विभिन्न स्तरों पर चल रही वार्ता के बीच अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने राष्ट्रपति जो बाइडन को आगाह किया है।
बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सेना की वापसी की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। वर्तमान में करीब साढ़े तीन हजार अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान में मौजूद हैं। अमेरिका के कुछ अधिकारियों का इस मुद्दे पर कहना है कि खुफिया रिपोर्ट के मद्देनजर सेना की वापसी के लिए कोई तय समय सीमा नहीं होनी चाहिए। व्हाइट हाउस ने इस रिपोर्ट पर कुछ भी टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया है। यह रिपोर्ट एक साल पहले ट्रंप प्रशासन में तैयार की गई थी।
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सेना की वापसी मुश्किल
दरअसल राष्ट्रपति जो बाइडन ने पत्रकार वार्ता में कहा था कि तय समय में सेना की वापसी मुश्किल हो सकती है, क्योंकि सात हजार की संख्या में सहयोगी देशों की भी सेना है।सेना वापसी के मसले पर तालिबान ने स्पष्ट रूप से चेतावनी दे दी है कि तय समय सीमा 1 मई तक विदेशी सैनिकों की वापसी नहीं होती है, तो वह हमले तेज कर देगा। साथ ही अमेरिका के साथ हुए समझौते का पालन भी नहीं करेगा।
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अफगानिस्तान में आतंकी हमले
अफगानिस्तान में ताजा हिंसा में तालिबानी आतंकियों ने हमले में दस पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी। मरने वालों में संगिन जिले के पुलिस प्रमुख अब्दुल मुहम्मद सरबारी भी हैं। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि इन हमलों का जवाब देते हुए सुरक्षा बलों ने 15 तालिबानी आतंकियों को मार गिराया। स्थानीय मीडिया के अनुसार फरवरी माह में 270 नागरिक और सुरक्षा बल सदस्य हिंसा में मारे गए हैं। जनवरी में भी मरने वालों की संख्या करीब 271 थी।
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