नई दिल्ली : OBC Bill : बीते कुछ दिनों से संसद में चलता मानसून सत्र विपक्षी हंगामे की वजह से नहीं चल पाया है। इस साल के मानसून सत्र में जनता के हित में लाई जाने वाली सुविधायें कागजो में बनधकर ही रह गयी है। विपक्ष के हंगामे की वजह से रोज सभा को स्थगित करना पढ़ता था। सभा के स्पीकर्स का विपक्ष को बार बार चेतावनी देना भी व्यर्थ साबित हो रहा था। लेकिन बीते कुछ दिनों से विपक्ष के हंगामे के बीच सरकार ओबीसी आरक्षण संशोधन बिल को पास करने में सफल रही है।
OBC Bill : वोट बैंक के लिए विपक्ष केंद्र के साथ खड़े होने को राजी
बता दें, केंद्र सरकार का विरोध करता विपक्ष अपने वोट बैंक के लिए केंद्र के साथ खड़े होने को भी राजी है। केंद्र ने बीते दिनों बुधवार को केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने इस बिल का सदन में प्रस्ताव किया था और चर्चा की शुरुआत की गयी थी। वीरेंद्र कुमार का कहना था कि ये संविधान संशोधन राज्यों को ओबीसी सूची तैयार करने का अधिकार देने के लिए लाया गया है, साथ ही उन्होंने कहा कि यदि राज्य की सूची को समाप्त कर दिया गया तो लगभग 631 जातियों को शैक्षणिक संस्थान और नियुक्तियों में आरक्षण का लाभ नहीं मिलता।
यहाँ भी पढ़े :-OBC Bill: ओबीसी आरक्षण संशोधन बिल पास, विपक्षी दलों का मिला समर्थन
बिल मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास जायेगा
विपक्ष का इस बिल पर समर्थन देते हुये सभा के दौरान 187 वोट का मतदान किया। लोकसभा में ये बिल 10 अगस्त को पास हो गया था। जिसके बाद अब बिल मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास जायेगा। बिल के समर्थन में सपा सांसद प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने कहा कि इस बिल के बाद राज्यों को सूची बनाने का जो अधिकार मिलेगा, उसका तब तक लाभ नहीं मिलेगा जब तक 50 फीसदी का कैप नहीं बढ़ाया जाएगा.
कांग्रेस का केंद्र सरकार पर तंज
कांग्रेस का केंद्र सरकार पर तंज कस्ते हुए वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने स्पष्ट कहा कि ये संशोधन लाकर सरकार अपनी पुरानी गलती को सुधार रही है, लेकिन दूसरी गलती पर इस बिल में कुछ नहीं कहा गया है. सिंघवी ने कहा कि 50 फीसदी आरक्षण सीमा पर इस बिल में एक शब्द भी नहीं है , तो वहीं तेलंगाना राष्ट्र समिति के सांसद प्रकाश बांडा ने कहा कि उनकी पार्टी इस बिल का समर्थन करती है लेकिन हमने पहले भी हमेशा पिछड़ी जातियों की जनगणना की मांग की है. हम एक बार फिर भारतीय सरकार से ओबीसी की जनगणना की मांग करते हैं। वहीं दूसरी ओर शिवसेना इस बिल को अपना श्रेय देती नजर आयी। शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा की अगर इस बिल को क्रांतिकारी कहा जा रहा है तो इसका श्रेय महाराष्ट्र को जाता है। लेकिन क्या इस संशोधन के बाद मराठा आरक्षण का रास्ता साफ हो जाएगा। इन सभी राजनैतिक पार्टीयों के अलावा टीएमसी, डीएमके और एनसीपी समेत अन्य विपक्षी दलों ने इस बिल का समर्थन किया है।