जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक पिता को उसके बच्चे की अंतरिम कस्टडी देने से ये कहते हुए इंकार कर दिया कि सौतेली मां बच्चे की देखभाल अपने बच्चे की तरह नहीं करेगी। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा, सौतेली मां सगी मां की तरह बच्चे का देखभाल और प्यार नहीं कर सकती।
दरअसल, बच्चे की कस्टडी को लेकर कोर्ट पहुंचे शख्स ने दूसरी शादी की है। शख्स और उसकी पहली बीवी अलग हो चुके हैं। जिसके बाद शख्स ने दूसरी शादी कर ली लेकिन जिस बच्चे की कस्टडी को लेकर शख्स कोर्ट पहुंचा है वह पहली बीवी से है। मां और पिता में बच्चे की कस्टडी को लेकर कानूनी लड़ाई चल रही है। पिछले दिनों फैमिली कोर्ट ने पिता को बच्चे की कस्टडी देने से इंकार कर दिया था।
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फैमिली कोर्ट के फैसले को शख्स ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। लेकिन हाईकोर्ट ने भी बच्चे की कस्टडी पिता को देने से इंकार कर दिया। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित की सिंगल बेंच ने की। बेंच ने पिता की याचिका को खारिज कर दिया। दरअसल, सौतेली मां ने कोर्ट में हलफनामा दिया था कि वो बच्चे की देखभाल करेगी। लेकिन जज ने कहा कि बायोलॉजिकल मां के लिए यह बहुत कम सांत्वना होगी। कोर्ट ने कहा, बच्चा भी अपनी मां के साथ रहना चाहता है। ऐसे मे याचिकाकर्ता को बच्चे की कस्टडी दे दी जाती है तो मां अकेली रह जाएगी।
पिता की दलील
शख्स ने बच्चे की कस्टडी मांगते हुए कहा, कि वह वित्तीय दृष्टि अपने बच्चे को अच्छी परवरिश दे सकता है। इसके अलावा बच्चे को अच्छी शिक्षा और पारिवारिक माहौल देने में भी वह सक्षम हैं। लेकिन कोर्ट ने पिता की इस दलील को खारिज करते हुए कहा, बच्चे की कस्टडी से इसका कोई लेना देना नहीं है कि वो आर्थिक और शैक्षिक रूप से बेहतर हालात में है। कोर्ट ने कहा, याचिकाकर्ता तो अपनी पत्नी के साथ रहेगा लेकिन बच्चे की मां अकेली रह जाएगी।