जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: भारत रत्न और महान गायिका लता मंगेशकर ने 92 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। एक महीने पहले लता मंगेशकर को कोविड संक्रमण के बाद मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया था। रविवार सुबह 8 बजकर 12 मिनट बजकर उन्होंने अंतिम सांस ली। लता मंगेशकर से जुड़े उनकी जिंदगी के कुछ खास पलों को आपके साथ साझा करते हैं। जो भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से जुड़ा है।
पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बारे में कहा जाता था कि वे कभी सार्वजनिक तौर पर रोते नहीं थे और न किसी का रोना पंसद करते थे। ये पूर्व प्रधानमंत्री के बारे में मशहूर था। लेकिन 27 जनवरी, 1963 का वो दिन। जब लता मंगेशकर ने कवि प्रदीप का लिखा गाना ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाया तो जवाहरलाल नेहरू अपने आंसू नहीं रोक पाए।
लता मंगेशकर ये गाना गाने के बाद स्टेज के पीछे कॉफी पी रही थीं। तभी निर्देशक महबूब खां आए और उन्होंने लता दीदी से कहा, तुम्हें पंडितजी बुला रहे हैं। महबूब ने लता को नेहरू के सामने ले जा कर कहा, “ये रही हमारी लता। आपको कैसा लगा इसका गाना?”
जवाहरलाल नेहरू ने कहा, “बहुत अच्छा। इस लड़की ने मेरी आंखों में पानी ला दिया।” उन्होंने लता को गले लगा लिया। जिसके बाद बिना देरी के इस गाने को विविध भारती के स्टेशन पहुंचाया गया और रिकॉर्ड समय में एचएमवी उसका रिकॉर्ड बनवा बाजार में ले आई।
‘नैशनल रेज’ बन गया गाना
देखते ही देखते बहुत जल्दी ये गाना इंडिया की पहचान बन गया। 1964 में जब नेहरू मुंबई आए तो लता ने उनके सामने ब्रेबोर्न स्टेडियम में आरज़ू फिल्म का गाना ‘अजी रूठ कर कहां जाएंगे’ गाया था। तब जवाहरलाल नेहरू ने उनके पास एक चिट भिजवा कर एक बार फिर ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ सुनने की फ़रमाइश की थी और लता ने उसको पूरा किया था। लता मंगेशकर ने हजारों गीत गाकर भारतीय सिनेमा के साथ साथ आर्ट और कल्चर में भी खास योगदान दिया।