न्याय में ‘सुप्रीम’ आस्था ! सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने की अपील काबिले तारीफ
अयोध्या स्थित रामजन्मभूमि-बाबरी विवाद के बारे में आने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले ही देश के सभी राजनीतिक दलों, विवाद से जुड़े पक्षकारों की तरफ से सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने की अपील निश्चित रुप से काबिले तारीफ है। किसी भी सभ्य समाज में सांप्रदायिक वैमनस्यता की गुंजाइश नहीं होती है। देश के विकास में सांप्रदायिक सद्भाव और बेहतर कानून व्यवस्था की अहम जरुरत होती है, इसीलिए अंतिम फैसले से पहले विभिन्न पक्षों की तरफ से जिस तरह से संयम और अनुशासन देखने को मिल रहा है, वो फैसले से बाद भी बना रहना चाहिए। वास्तव में दशकों पुराने इस विवाद को निपटाने का पूरा श्रेय सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और उस पूर्ण पीठ को दिया जाना चाहिए, जिसने बहुत ही सकारात्मक तरीके से समयबद्ध सुनवाई करके इस विवाद को अंतिम फैसले तक पहुंचाने का काम किया है।
अयोध्या स्थित विवादित पूजास्थल में मूर्तियां रखने के दिन से लेकर आज तक देश के ज्यादातर राजनीतिक सामाजिक संगठनों की दो ही राय रही हैं। पहली राय विवाद का निपटारा आपसी बातचीत के जरिये होना चाहिए और अगर आपसी बातटीत के माध्यम से इसका समाधान नहीं निकल पाता है तब अदालती निर्णय का सबको पालन करना चाहिए।
ये अलग बात है कि देश का एक सांस्कृतिक संगठन कुछ साल पहले तक आस्था का हवाला देकर अदालती प्रस्ताव को खारिज करता रहा है, लेकिन अब देश का वो सांस्कृतिक संगठन और उसके सभी फ्रंटल संगठन भी आने वाले अदालती फैसले का स्वागत कर रहे हैं और देश के सभी नागरिकों से आपसी भाईचारा और सांप्रदायिक सौहार्द्र बनाए रखने की अपील कर रहे हैं।
उत्तर-प्रदेश और देश की सरकार भी सुप्रीम कोर्ट के संभावित फैसले के मद्देनज़र अयोध्या सहित पूरे देश में सुरक्षा के व्यापक इंतज़ाम में जुटी है। सरकारों की कोशिश है कि फैसले के बाद पैदा होने वाली परिस्थितियों से निपटने की कोशिश हरसंभव हो। अयोध्या और उसके आस-पास सुरक्षा के इतने चाकचौबंद इंतज़ाम अयोध्या में इससे पहले दो ही मौकों पर दिखे थे। पहला मौका था जब उत्तर-प्रदेश में मुलायम सिंह की सरकार थी और अक्टूबर-नवंबर, 1990 में कारसेवकों ने विवादित पूजास्थल पर कब्जा कर लिया था और उस समय की सरकार ने विवादित स्थल को बचाने, इस परिसर को खाली कराने के लिए गोली चलवाई थी। प्रबंधन का दूसरा मौका दिसंबर,1992 में देखने को मिला, जब यूपी में कल्याण सिंह के नेतृत्व में बीजेपी की और देश में पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी। उस समय सुप्रीम कोर्ट में दोनों ही सरकारों की तरफ से सुरक्षा के कड़े प्रबंधों की जानकारी दी गई थी। कल्याण सरकार ने तो सुप्रीम कोर्ट में बकायदा अंडरटेकिंग देकर अयोध्या में कानून व्यवस्था बनाए रखने और विवादित पूजास्थल को बचाए रखने का वायदा भी किया था।
ये अलग बात है कि लाखों की तादाद में सुरक्षाबलों की तैनाती के बावजूद कारसेवकों ने विवादित पूजास्थल का ध्वस्तीकरण कर दिया था और उसके बाद यूपी सहित बीजेपी शासित पांच राज्य सरकारें बर्खास्त हो गईं थी, लेकिन इस बार की सुरक्षा व्यवस्था अयोध्या समेत पूरे देश में अमन-चैन, शांति-व्यवस्था, सांप्रदायिक सद्भाव, कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए की गई हैं। ये निश्चित रूप से समाज के सभी नागरिकों और देश के हित में है और हम सब नागरिकों को सरकार की इस पहल को कामयाब बनाने के लिए सहयोग देना चाहिए।