Pakistan : क्यों बाजवा का कार्यकाल बढ़ाना चाहते हैं इमरान खान ?
नई दिल्ली : पाकिस्तान (Pakistan) में आर्मी चीफ जनरल बाजवा (Qamar Javed Bajwa) के सेवा विस्तार (Service extension) का मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कल इमरान सरकार (Imran Government) को झटका देते हुए बाजवा के एक्स्टेंशन को सस्पेंड कर दिया था। पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर आज भी सुनवाई हुई और कल भी होगी। उधर इमरान सरकार हर हाल में बाजवा को एक्स्टेंशन देना चाहती है। कोर्ट के आदेश के बाद कल ही कैबिनेट ने संविधान में संशोधन कर नया नोटिफिकेशन जारी कर दिया। ऐसे में सवाल ये है कि आखिर क्यों इमरान खान (Imran Khan) जनरल बाजवा को ही आर्मी चीफ के तौर पर देखना चाहते हैं ?
- पाक सुप्रीम कोर्ट ने बाजवा का एक्स्टेंशन सस्पेंड किया
- कोर्ट ने कहा कानून के मुताबिक नहीं आया नोटिफिकेशन
- कोर्ट के आदेश के बाद इमरान सरकार ने संविधान संशोधन किया
- पेशावर हाईकोर्ट में भी बाजवा के खिलाफ याचिका
- हाईकोर्ट याचिका में कहा गया बाजवा मुसलमान नहीं
- पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक मुसलमान ही बन सकता है आर्मी चीफ
- भारत के खिलाफ रणनीति बनाने में माहिर माने जाते है बाजवा
- भारत के आक्रामक रुख से डरे हुए हैं इमरान खान
भले ही पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा के सेवा विस्तार के आदेश को अस्थाई तौर पर निलंबित कर दिया हो, लेकिन पीएम इमरान खान हर हाल में आर्मी चीफ के तौर पर बाजवा को ही देखना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इमरान ने कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई और सेवा विस्तार की अधिसूचना को मंजूरी दे दी। रिपोर्ट्स के मुताबिक बाजवा के एक्सटेंशन वैध करने के लिए आर्मी एक्ट में संशोधन कर इसमें ‘एक्स्टेंशन’ शब्द जोड़ा गया है। पाक आर्मी चीफ 29 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। इमरान सरकार ने उनके रिटायरमेंट के पहले ही 3 साल एक्स्टेंशन की अधिसूचना जारी की है।
क्यों कोर्ट पहुंचा बाजवा के एक्सटेंशन का मामला?
इमरान सरकार ने बाजवा को 3 साल का एक्स्टेंशन देने के लिए अधिसूचना जारी की थी, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी गई। हालांकि पहले खबर आई थी सुप्रीम कोर्ट ने खुद संज्ञान लिया है, लेकिन बाद में कोर्ट ने मामले पर सफाई देते हुए कहा कि उसे याचिका मिली है। याचिका में बाजवा के एक्स्टेंशन की वैधता को चुनौती दी गई। कोर्ट ने सुनवाई के बाद बाजवा के एक्स्टेंशन की अधिसूचना को सस्पेंड कर दिया। दो दलीलों के आधार पर कोर्ट सेवा विस्तार को निलंबित किया। पहला आधार था इमरान कैबिनेट के सिर्फ 11 मंत्रियों ने फैसला लिया, जबकि इस मामले में कैबिनेट के सभी मंत्रियों को मंजूरी जरूरी है। दूसरा आधार ये था कि अधिसूचना के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं ली गई। हालांकि सरकार ने जवाब में कहा कि राष्ट्रपति की मंजूरी ली गई है।
इमरान के कानून मंत्री को देना पड़ा इस्तीफा
पाक आर्मी चीफ बाजवा के सेवा विस्तार को सुप्रीम कोर्ट से निलंबित किए जाने से पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल की स्थिति बन गई। कानून मंत्री फरोग नसीम को इस्तीफा देना पड़ा। सरकार ने भले ही कानून मंत्री के इस्तीफे को सामान्य बताने की कोशिश की हो, लेकिन ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि बाजवा के सेवा विस्तार पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इमरान खान की नाराजगी की गाज देश के कानून मंत्री पर गिरी है। ऐसी खबरें है कि कैबिनेट की बैठक में इमरान अपने कानून मंत्री पर जमकर बरसे। इमरान इस बात से नाराज थे कि आखिर इस मामले में कानून मंत्रालय कर क्या रहा था, उसने पहले सभी औपचारिकताएं पूरी क्यों नहीं की?
शावर हाईकोर्ट में भी बाजवा के खिलाफ याचिका
आर्मी चीफ बाजवा की पहचान को लेकर भी विवाद है। पाकिस्तान के पेशावर हाईकोर्ट में बाजवा की आर्मी चीफ के तौर पर तैनाती को इस आधार पर भी चुनौती दी गई है कि वो कांदियानी समुदाय से आते हैं। कांदियानी समुदाय के लोगों को अहमदिया मुसलमान माना जाता है, जिन्हें मुख्य धारा के मुसलमान गैर-मुस्लिम मानते हैं। पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक एक गैर-मुस्लिम आर्मी चीफ नहीं हो सकता।