नई दिल्लीः Pegasus Case -पेगासस जासूसी मामले पर कई दिन से विवाद चल रहा है, जिसको लेकर आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. इस दौरान चीफ जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस सूर्य कांत की बेंच ने याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनी और अगली तारीख 10 अगस्त तय कर दी. कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के वकीलों के सामने जासूसी से जुड़े सबूत पेश करने की बात रखी है.
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Pegasus Case : राष्ट्रीय इंटरनेट सुरक्षा का सवाल
बता दें की मामले की सुनवाई शुरू होते ही चीफ जस्टिस से याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि आपकी याचिका में अखबार की कतरन के अलावा क्या है? हम क्यों इसे सुनें? इस पर याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने कहा, ‘यह टेक्नोलॉजी के जरिए निजता पर हमला है. सिर्फ एक फोन की जरूरत है और हमारी एक-एक गतिविधि पर नजर रखी जा सकती है. यह राष्ट्रीय इंटरनेट सुरक्षा का भी सवाल है।
जांच के लिए ठोस सबूत जरुरी
चीफ जस्टिस ने कहा ,की जांच का आदेश देने के लिए कोई ठोस आधार नहीं दिख रहा. एडिटर्स गिल्ड को छोड़कर सारी याचिकाएं अखबार पर आधारित हैं. ‘ इस पर सिब्बल ने कहा, ‘यह सही है कि हमारे पास कोई सीधा सबूत नहीं है. लेकिन एडिटर्स गिल्ड की याचिका में जासूसी के 37 मामलों का जिक्र है.’ सिब्बल ने व्हाट्सऐप और एनएसओ के बीच कैलिफोर्निया की कोर्ट में चले एक मुकदमे का हवाला दिया. कहा कि पेगासस जासूसी करता है, यह साफ है. भारत में किया या नहीं, इसका सवाल है।
10 अगस्त को अगली सुनवाई
वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने भी जांच की मांग करते हुए कहा, ‘फ्रेंच संस्था और कनाडा के लैब के प्रयास से नया खुलासा हुआ है. लोगों को जानने का हक है कि भारत में इसका किसने और किस पर इस्तेमाल किया? मामले की जांच होनी चाहिए.’ सभी दलीलें सुनने के बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि सभी याचिकाकर्ता अपनी याचिका की एक कॉप सरकार को भेज दें. पहले सरकार की तरफ से किसी को पेश होने दीजिए. फिर नोटिस जारी करने पर विचार करेंगे. मामले की अगली सुनवाई मंगलवार, 10 अगस्त को होगी।