नई दिल्ली: Phoolan Devi Jyanti: आज बैंडिट क्वीन के नाम से मशहूर दस्यु सुंदरी फूलन देवी की जंयती है। फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 को जालौन जिले के पुरवा गांव में हुआ था। फूलन का बचपन गरीबी में ही बीता था। फूलन के पिता मजदूरी करते थे कहा जाता है कि फूलन के पास जमीन भी कम थी, जो थी भी उसे उनके चाचा ने हड़प ली थी। इस जमीन को लेकर आए दिन उनके पिता और चाचा में झगड़ा हुआ करता था। इसी विवाद को लेकर 10 वर्ष की उम्र में ही फूलन देवी ने अपने परिवार में ही झगड़ा कर लिया था।
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Phoolan Devi Jyanti: बीहड़ के जंगलों में दस्यु सुंदरी का नाम गूंजने लगा
फूलन को एक विशेष जाति के गैंग ने किडनैप कर लिया और करीब 20 दिनों तक फूलन देवी का रेप किया। जैसे-तैसे करके फूलन यहां से छूटने में कामयाब रहीं। इसके बाद फूलन देवी के मन में बदले की आग जल उठी। फिर क्या था फूलन देवी ने बेहमई में 20 से अधिक लोगों को गोलियों से छलनीं कर दिया। जिसके बाद से बीहड़ के जंगलों में दस्यु सुंदरी का नाम गूंजने लगा। बता दें कि इस हत्याकांड को बेहमई हत्याकांड के नाम भी जाना जाता है।
(Phoolan Devi Jyanti) फूलन देवी का नाम बैंडिट क्वीन कैसे पड़ा
बेहमई कांड के बाद से ही पुलिस फूलन देवी को खोजने में लग गई। पकड़ने के लिए फूलन पर इनाम तक रख दिया। इसके बावजूद फूलन देवी को दो वर्षों तक पुलिस पकड़ नहीं सकी। जिसके बाद मीडिया ने उनका बैंडिट क्वीन रख दिया। 1983 में फूलन देवी ने खुद को पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। जिसके बाद फूलन देवी को कई वर्षों तक जेल में रहना पड़ा। हालांकि 1993 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने फूलन देवी चल रहे सभी मामलों को वापस ले लिया। जिसके बाद फूलन देवी जेल से छूट गई।
निषाद जाति के वोटबैंक का प्रतीक
फूलन के नाम पर यूपी-बिहार में एक वोटबैंक तैयार करने की कोशिश हो रही है। राजनीति में अगर किसी जाति विशेष का वोटबैंक तैयार करना होता है तो एक प्रतीक भी खोजना होता है। फूलन देवी को अब निषाद जाति के वोटबैंक के प्रतीक के रूप में स्थापित किया जा रहा है।
निषाद समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं का दावा
उत्तर प्रदेश की 50 फीसदी से अधिक पिछड़ी आबादी में तकरीबन 5 फीसद निषाद हैं जो अति पिछड़ी उपजातियों में माने जाते हैं. मोटे तौर पर देखें तो निषादों में 150 से ज्यादा उप जातियां हैं और पूर्वी और मध्य उत्तर प्रदेश के 18 जिलों में इनकी अच्छी-खासी तादाद है। लेकिन, निषाद समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं का दावा है कि राज्य की 403 विधानसभा सीटों में से उनके समाज का 160 सीटों पर ठीक-ठाक प्रभाव है और इन सीटों पर 60 हजार से लेकर एक लाख तक वोट निषाद समाज का है।