जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: देश अपना 73वां गणतंत्र दिवस मनाएगा। जोरों शोरों से राजपथ पर तैयारियां चल रही है। सभी सेनाओं के जवान परेड के लिए रिहर्सल कर रहे हैं तो झांकिया सजाई जा रही हैं। हर कोई देशभक्ति की भावना से लबरेज है। 26 जनवरी 1950 में भारत का संविधान लागू हुआ था। इस ऐतिहासिक दिन में आप भारत की कई ऐसी जगहों पर जा सकते हैं जो देशभक्ति से लबरेज हैं। जो याद दिलाती हैं किस तरह हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने आंदोलन की मशाल जलाई थी।
वाघा बॉर्डर (भारत-पाकिस्तान बॉर्डर)
गणतंत्र दिवस पर वाघा बॉर्डर का नजारा कुछ बेहद खास होता है। अमृतसर स्थित वाघा बॉर्डर पर गणतंत्र दिवस के दिन विशाल परेड होती है। हर साल हजारों पर्यटक यहां केवल परेड देखने पहुंचते हैं। जोश से भरी इस परेड को देख हर कोई देशभक्ति में डूब जाता है।
दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड
राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस की परेड और झांकी आकर्षण का केंद्र होती हैं। यहां भारतीय सेना के अद्भुत करतब, एयर शो और इस बार तो ITBP के बाइकर्स भी इसमें शामिल होने जा रहे हैं। वहीं, देशभर से विभिन्न झांकियों की झलक यहां पर दिखती है जो सांस्कृतिक और लोकरंगो से भरपूर होती हैं। यहां दूर दूर से लोग गणतंत्र दिवस की परेड देखने के लिए आते हैं। लोकतंत्र के इस ऐतिहासिक पल को एक बार आप भी जरूर देखें। वहीं, इस दिन नेशनल वॉर मेमोरियल और लाल किला भी घूमने जा सकते हैं।
साबरमती आश्रम, अहमदाबाद
भारत की आजादी में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने बड़ा योगदान दिया। डांडी मार्च से लेकर अहिंसा से भरे आंदोलन…जो गांधी जी की पहचान बन गए। उनकी कई यात्राएं, अंग्रेजी सामान का बहिष्कार, उनका चरखा, उनका जीवन सब कुछ एक आदर्श बन गया। गुजरात के अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम में गांधी जी के इन यादगार लम्हों को महसूस करें। आजादी के वे रंग आज भी साबरमती आश्रम में नजर आएंगे। गणतंत्र दिवस के दिन यहां जरूर जाएं।
नेताजी भवन, पश्चिम बंगाल
23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती है। इसी दिन से गणतंत्र दिवस का उत्सव शुरू हो जाएगा। देश के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी का सुभाष चंद्र बोस का जीवन देश को समर्पित रहा। नेताजी के जीवन को करीब से जानने और उनके मूल्यों को सीखने के लिए पश्चिम बंगाल में स्थित नेताजी भवन को जरूर देखें। यह भवन सुभाष चंद्र बोस के जीवन से जुड़े रहस्य के बारे में जानने के लिए रिसर्च सेंटर के तौर पर बना है। 1941 में बर्लिन जाने से पहले तक नेताजी को अंग्रेजों ने यहीं नजरबंद किया था। अब ये एक म्यूजियम के रूप में संरक्षित है।