जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: बुधवार को संसद में विपक्ष की और से मैरिटल रेप का मुद्दा उठाया गया। जिस पर महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने सरकार के पक्ष में बयान देते हुए कहा कि बच्चों और महिलाओं को प्राथमिकता देना ठीक है, लेकिन सभी शादीशुदा पुरुष को रेपिस्ट बताया जाना गलत है।
थाली में धोखे से कुछ भी ना परोसें, वेज है या नॉनवेज साफ-साफ बताएं- HC
संसद में पेश बजट पर हुई चर्चा के दौरान सीपीआई बिनॉय विश्वम ने ‘वैवाहिक जीवन में यौन हिंसा’ का सवाल उठाया। इस पर स्मृति ईरानी ने जवाब देते हुए कहा कि वैवाहिक हिंसा का समर्थन नहीं किया जा सकता, लेकिन इसकी आड़ में सम्मानित सदन में देश के हर विवाह को हिंसक मानकर उसकी निंदा करना और देश के सभी पुरुषों को बलात्कारी मानना उचित नहीं है।
स्मृति ईरानी ने कहा कि हमारे देश में बच्चों और महिलाओं को प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन हम सभी पुरुषों को गलत नहीं कह सकते। उन्होंने कहा क्या कभी केंद्र ने घरेलू हिंसा की धारा 3 और आईपीसी की धारा 375 पर बलात्कार पर ध्यान दिया था।
घरेलू हिंसा की धारा 3 क्या है
किसी भी महिला को दहेज के लिए प्रताड़ित करना, जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाना, महिला के साथ मार-पीट करना, यह सभी अपराध घरेलू हिंसा की धारा 3 के तहत आते हैं। महिला के साथ यह सभी अपराध करने पर जुर्माने के साथ आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।
आईपीसी की धारा 375
जब कोई पुरुष किसी महिला के साथ उसकी इच्छा के विरुद्ध, उसकी सहमति के बिना, उसे डरा धमका कर, दिमागी रूप से कमजोर, पागल या नशा की हुई महिला को धोखा देकर शारीरिक संबंध बनाता है तो इसे बलात्कार कहा जाता है। इसमें दोषी पर धारा 375 के तहत कार्रवाई होती है। इसमें कम से कम सात साल और अधिकतम आजीवन कारावास हो सकता है।
स्मृति ईरानी ने कहा कि महिलाओं की मदद के लिए 30 से ज्यादा हेल्पलाइन काम कर रही हैं। अब तक इन हेल्पलाइनों से 66 लाख से ज्यादा महिलाओं की मदद की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि देश में 703 ‘वन स्टॉप सेंटर’ भी महिलाओं को मदद देने का काम कर रहे हैं। इनके जरिए भी 5 लाख महिलाओं को मदद दी गई है। सुप्रीम कोर्ट में मैरिटल रेप का मुद्दा विचाराधीन है, इसलिए इस पर ज्यादा बातचीत नहीं की जा सकती है।