नई दिल्ली : अब कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों को ब्लैक फंगस अपना शिकार बना रहा है। दिल्ली के एम्स और सर गंगा राम अस्पताल में ब्लैक फंगस के 29 मरीज भर्ती हैं। एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने बताया कि एम्स के ईएनटी विभाग में 10 मरीज हैं, जिन पर हमें संदेह है कि वह ब्लैक फंगस से संक्रमित हैं।
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डॉक्टर गुलेरिया का कहना है कि कई कोरोना मरीजों को जिन्हें शुगर है, उन्हें इलाज के दौरान स्टेरॉयड दिया गया। जिससे उनका ब्लड शुगर लेवल बेकाबू हो गया है। वहीं कुछ मरीजों को टॉसिलिजुमैब और इटोलिजूमैब जैसी दवाई दी गई, जिससे उनका इम्यून सिस्टम में तेजी से गिरावट हुई। अब इन सब में ब्लैक फंगस होने की ज्यादा संभावना है।
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तेजी से बढ़ने लगी है ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या
सर गंगा राम अस्पताल के ईएनटी विभाग के प्रमुख डॉक्टर अजय स्वरूप ने बताया कि शुरुआत में यहां 6 मरीज भर्ती हुए थे, धीरे-धीरे यह संख्या बढ़कर 19 हो गई है। प्रतिदिन दो से तीन मामले सामने आ रहे हैं। पहले भी ब्लैक फंगस के मरीज मिलते थे, लेकिन 3 से 4 महीने में एक मरीज मिलते थे। वहीं अभी मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो गई है।
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क्या है ब्लैक फंगस के लक्षण
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अनुसार म्यूकर माइकोसिस यानी ब्लैक फंगस की पहचान इसके लक्षणों से की जा सकती है। इसमें नाक बंद हो जाना, नाक व आंख के आसपास दर्द व लाल होना, बुखार, सिर दर्द, खांसी, सांस फूलना, खून की उल्टियां, मानसिक रूप से अस्वस्थ हो ना और कन्फ्यूजन की स्थिति शामिल है।
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शुगर के मरीजों पर ज्यादा अटैक कर रहा ब्लैग फंगस
यह कोरोना वायरस के उन मरीजों पर सबसे ज्यादा अटैक कर रहा है जिनको शुगर की बीमारी है। यह इतनी गंभीर बीमारी है कि मरीजों को सीधा आईसीयू में भर्ती करना पड़ रहा है। इस बीमारी में कई लोगों की आंखों की रोशनी तक चली जाती है। वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी गल जाती है।
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