1. भारत-रूस शिखर सम्मेलन के लिए अहम यात्रा
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज भारत एक महत्वपूर्ण वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आ रहे हैं। यह यात्रा दोनों देशों के बीच चल रही रणनीतिक साझेदारी की समीक्षा और भविष्य की दिशा तय करने का अवसर है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पुतिन की यह पहली भारत यात्रा होने के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस दौरे को खास महत्व दिया जा रहा है। भारत और रूस कई वर्षों से एक मजबूत रणनीतिक सहयोग निभाते आए हैं, जिसे यह शिखर बैठक और अधिक सुदृढ़ करने का प्रयास करेगी।
2. रक्षा और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करना
पुतिन की इस यात्रा का सबसे बड़ा उद्देश्य भारत के साथ रक्षा संबंधों को आगे बढ़ाना है। दोनों देश लंबे समय से सैन्य तकनीक, मिसाइल प्रणाली, पनडुब्बियों और लड़ाकू विमानों के क्षेत्र में साथ काम कर रहे हैं। भारत की जरूरतों और रूस की सैन्य क्षमताओं के बीच तालमेल को देखते हुए, इस भेट के दौरान नई रक्षा परियोजनाओं, संयुक्त उत्पादन, और उन्नत हथियार प्रणालियों पर चर्चा होने की संभावना है। इससे भारत की रक्षा क्षमता और रूस के साथ सैन्य विश्वास दोनों मजबूत होंगे।
3. ऊर्जा और आर्थिक समझौतों पर बातचीत
भारत की बढ़ती ऊर्जा ज़रूरतों और रूस की विशाल ऊर्जा आपूर्ति क्षमता के बीच गहरा सहयोग है। इसलिए यह यात्रा तेल, गैस, ऊर्जा बुनियादी ढाँचे और परमाणु ऊर्जा तक कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण चर्चा का मंच बन रही है। इसके अलावा दोनों देश व्यापार, निवेश, उद्योग और तकनीकी क्षेत्रों में भी नई साझेदारियों को अंतिम रूप देने की कोशिश करेंगे। यह दौरा भारत-रूस आर्थिक संबंधों को अगले दशक की रणनीति के अनुरूप आकार देने का अवसर है।
4. वैश्विक राजनीतिक परिस्थितियों में संतुलन बनाना
आज की बदलती भू-राजनीति में भारत और रूस दोनों ही देशों की अपनी-अपनी चुनौतियाँ हैं। पश्चिमी देशों के साथ रूस के टकराव और वैश्विक ध्रुवीकरण के माहौल में, भारत का यह संदेश भी स्पष्ट है कि वह अपनी स्वतंत्र विदेश नीति बनाए रखता है। पुतिन का भारत आना इस बात का संकेत है कि रूस भारत को एक विश्वसनीय और संतुलित साझेदार के रूप में देखता है, जबकि भारत रूस को एक महत्वपूर्ण रणनीतिक स्तंभ के रूप में देखता है।
5. बहुपक्षीय मुद्दों और क्षेत्रीय सुरक्षा पर चर्चा
भारत और रूस न सिर्फ द्विपक्षीय बल्कि कई वैश्विक मुद्दों पर भी एक-दूसरे के सहयोगी हैं। आज की बैठक में एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा, आतंकवाद, मध्य-पूर्व की स्थिति, यूक्रेन संघर्ष और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहयोग जैसे विषय प्रमुख रहेंगे। दोनों देश बहुपक्षीय संगठनों में अपनी भूमिका को लेकर भी संयुक्त रणनीति बनाने की कोशिश करेंगे, जिससे वैश्विक मामलों में उनकी आवाज और मजबूत हो सके।
6. संबंधों को नई दिशा देने का अवसर
कुल मिलाकर पुतिन की आज की भारत यात्रा सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि दोनों देशों के संबंधों को नई दिशा देने का अवसर है। यह दौरा रक्षा, ऊर्जा और आर्थिक साझेदारी को मजबूती देता है, साथ ही दोनों देशों के दीर्घकालिक सहयोग के लिए एक नया ढाँचा भी तैयार करता है। भारत इस यात्रा को अपने राष्ट्रीय हितों, आत्मनिर्भरता और वैश्विक संतुलन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मानता है, जबकि रूस इसे एशिया में अपनी मजबूत उपस्थिति बनाए रखने का मौका समझ रहा है।















