सरदार वल्लभभाई पटेल, जिन्हें भारत का ‘लौह पुरुष’ कहा जाता है, की पुण्यतिथि आज 15 दिसंबर को मनाई जाती है। उनका निधन 15 दिसंबर 1950 को हुआ था। पटेल जी की दूरदर्शिता, दृढ़ संकल्प और अटूट इच्छाशक्ति ने स्वतंत्र भारत को एक मजबूत राष्ट्र बनाने में अभूतपूर्व योगदान दिया। यदि वे न होते, तो आज का एकीकृत भारत शायद अलग-अलग हिस्सों में बंटा होता। उनकी विरासत आज भी हमें राष्ट्रीय एकता की प्रेरणा देती है।
सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने इंग्लैंड से बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त की और सफल वकील बने। लेकिन महात्मा गांधी की प्रेरणा से वे स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। खेड़ा सत्याग्रह (1918) और बारडोली सत्याग्रह (1928) का उन्होंने कुशल नेतृत्व किया, जिससे बारडोली की जीत पर महिलाओं ने उन्हें ‘सरदार’ की उपाधि दी।
स्वतंत्रता आंदोलन में पटेल जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख स्तंभ थे। उन्होंने असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। जेल जाने में वे सबसे आगे रहते थे और अपनी संगठन क्षमता से लाखों लोगों को आजादी की लड़ाई से जोड़ा। गांधी जी के बाद कांग्रेस में उनकी स्थिति सबसे मजबूत थी, जिससे वे पार्टी को एकजुट रखते थे।
आजादी के बाद सबसे बड़ी चुनौती थी 562 रियासतों का भारत में एकीकरण। ब्रिटिश शासन के तहत ये रियासतें स्वतंत्र हो गई थीं। सरदार पटेल ने प्रथम गृह मंत्री और राज्य मंत्री के रूप में इस कार्य को हाथ में लिया। वी.पी. मेनन के साथ मिलकर उन्होंने कूटनीति, समझौते और आवश्यकता पड़ने पर दृढ़ता से अधिकांश रियासतों को भारत संघ में शामिल किया।
जूनागढ़, हैदराबाद और जम्मू-कश्मीर जैसी जटिल रियासतों में पटेल जी ने निर्णायक कदम उठाए। जूनागढ़ में जनमत संग्रह करवाया, जबकि हैदराबाद के निजाम की सैन्य कार्रवाई के खिलाफ ‘ऑपरेशन पोलो’ चलाकर आत्मसमर्पण करवाया। इस प्रक्रिया में बड़े खूनखराबे से बचते हुए उन्होंने भारत को भौगोलिक और राजनीतिक रूप से एकजुट बनाया।पटेल जी ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की नींव रखी, जिसे नेहरू जी ने ‘स्टील फ्रेम ऑफ इंडिया’ कहा। इससे प्रशासन में एकता और दक्षता आई। उनकी दूरदर्शिता से आज का भारत विश्व मानचित्र पर एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में स्थापित है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी उनकी स्मृति में एक जीवंत श्रद्धांजलि है। सरदार पटेल को कोटि-कोटि नमन!













