बांग्लादेश में 18-19 दिसंबर 2025 की रात भयानक हिंसा हुई। जुलाई विद्रोह के प्रमुख नेता और एंटी-इंडिया विचारधारा वाले युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की सिंगापुर में गोली लगने से मौत हो गई। इस खबर से गुस्साई भीड़ ने ढाका में प्रदर्शन शुरू कर दिए, जो जल्दी ही हिंसक हो गए।प्रदर्शनकारियों ने देश के दो सबसे बड़े अखबारों – बांग्ला भाषा के प्रथम आलो (Prothom Alo) और अंग्रेजी के द डेली स्टार (The Daily Star) के ऑफिस पर हमला किया। करवान बाजार इलाके में स्थित इन इमारतों को घेरकर तोड़फोड़ की गई, लूटपाट हुई और आग लगा दी गई। हमले के समय दोनों ऑफिस में पत्रकार काम कर रहे थे। द डेली स्टार के 28 पत्रकार छत पर फंस गए और धुएं से दम घुटने लगा। एक पत्रकार ने सोशल मीडिया पर लिखा, “मैं अब सांस नहीं ले पा रही, मुझे मार रहे हो।” सेना और फायर ब्रिगेड ने घंटों बाद उन्हें बचाया।
प्रदर्शनकारियों ने इन अखबारों को “दिल्ली का पालतू कुत्ता” (Delhi’s pet dog या lapdog) और “शेख हसीना का मददगार” कहा। उनका आरोप था कि ये मीडिया हाउस हादी की हत्या की जमीन तैयार करने में शामिल थे और भारत समर्थक हैं। दोनों अखबारों ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है।इस हमले से प्रथम आलो का ऑफिस बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। 1998 से लगातार छपने वाला यह बांग्लादेश का सबसे बड़ा अखबार 27 साल में पहली बार आज (20 दिसंबर) नहीं छप सका। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भी बंद रहा। एग्जीक्यूटिव एडिटर सज्जाद शरीफ ने इसे “पत्रकारिता की सबसे काली रात” बताया और कहा कि यह प्रेस फ्रीडम पर सीधा हमला है।
अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने दोनों अखबारों के एडिटर से बात की, हमले की निंदा की और सुरक्षा का भरोसा दिया। एडिटर्स काउंसिल ने इसे लोकतंत्र पर हमला करार दिया। यह घटना बांग्लादेश में मीडिया की आजादी और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल उठाती है। हिंसा में अन्य जगहों पर भी तोड़फोड़ हुई।