नए लेबर लॉ का सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब किसी भी कर्मचारी की बेसिक सैलरी उसके कुल CTC का कम से कम 50% होना चाहिए। पहले कंपनियाँ बेसिक वेतन को कम रखकर भत्ते बढ़ा देती थीं, जिससे इन-हैंड सैलरी ज़्यादा मिलती थी। नए नियम ने इस तरीके पर रोक लगा दी है।जब बेसिक वेतन बढ़ता है, तो PF जैसी कई कटौतियाँ भी बेसिक पर ही निर्भर होती हैं। मतलब, बेसिक सैलरी जितनी अधिक होगी, उतनी ही अधिक PF राशि कटेगी। PF कटने से इन-हैंड सैलरी कम हो जाती है, जबकि CTC वही रहता है।
PF का योगदान कर्मचारी और नियोक्ता दोनों की ओर से बेसिक का 12% होता है। नया लेबर लॉ लागू होने पर बेसिक बढ़ेगा, इसलिए PF में जमा होने वाली राशि भी बढ़ेगी। PF में बढ़ोतरी का सीधा मतलब है कि मासिक हाथ में मिलने वाला वेतन घटेगा।क्योंकि ग्रेच्युटी की गणना भी बेसिक सैलरी पर ही होती है, इसलिए नए नियम से ग्रेच्युटी भी अधिक मिलेगी। हालांकि यह पैसा नौकरी छोड़ने या रिटायरमेंट पर मिलता है, इसलिए इसका तात्कालिक इन-हैंड सैलरी पर असर नकारात्मक दिखता है।
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कंपनियों को अब सैलरी स्ट्रक्चर बदलना पड़ रहा है। जिन कर्मचारियों की बेसिक सैलरी पहले 50% से कम थी, उनका बेसिक बढ़ाकर नए नियम के अनुरूप किया जा रहा है। इससे भत्तों की राशि घट जाती है, जिससे इन-हैंड सैलरी कम होती है।नई वेतन संरचना लागू होने पर कई कर्मचारियों को वास्तव में हाथ में कम सैलरी मिल सकती है। हालांकि यह कर्मचारियों के हित में भी है क्योंकि PF और ग्रेच्युटी के रूप में उनकी दीर्घकालिक बचत बढ़ेगी, लेकिन महीने की आय थोड़ी घट सकती है।
यह नियम सबसे अधिक उन लोगों को प्रभावित करता है जिनकी CTC में भत्तों का हिस्सा बहुत अधिक था और बेसिक सैलरी बहुत कम। ऐसे कर्मचारियों की इन-हैंड सैलरी में सबसे अधिक कमी देखने को मिल सकती है।जिनका बेसिक पहले से ही 50% के आसपास है, उन्हें लगभग कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उनका PF योगदान पहले जैसा ही रहेगा, इसलिए इन-हैंड सैलरी में भी बड़ा बदलाव नहीं होगा।
इन-हैंड सैलरी भले ही कुछ हद तक कम हो जाए, लेकिन PF और ग्रेच्युटी जैसी सुविधाएँ बढ़ने से कर्मचारी की लंबी अवधि की आर्थिक सुरक्षा बेहतर हो जाती है। भविष्य में रिटायरमेंट फंड मजबूत होगा।
नए लेबर लॉ से इन-हैंड सैलरी कम होने की संभावना सच है, लेकिन यह सभी कर्मचारियों पर लागू नहीं होती। जिनकी बेसिक सैलरी कम थी, उनमें कटौती दिखेगी, पर साथ ही दीर्घकालिक बचत बढ़ेगी। यानी नियम का असर मिश्रित है—आज की आय थोड़ी कम, लेकिन भविष्य की सुरक्षा अधिक।














