भाजपा ने आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए अपनी तैयारियों को तेज कर दिया है। पार्टी ने बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्यों में चुनावी रणनीति को और सशक्त करने के लिए नए प्रभारी और सह-प्रभारी नियुक्त किए हैं। इन नियुक्तियों से साफ है कि भाजपा अब जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूती देने और स्थानीय समीकरणों पर गहराई से काम करने के मूड में है।
बिहार में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रधान लंबे समय से भाजपा की चुनावी राजनीति और रणनीति से जुड़े रहे हैं और संगठन में उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती है। बिहार जैसे राज्य में जहां भाजपा जदयू के साथ तालमेल और विपक्षी महागठबंधन से सीधी टक्कर ले रही है, वहां धर्मेंद्र प्रधान का अनुभव पार्टी के लिए कारगर साबित हो सकता है।
वहीं, पश्चिम बंगाल का मोर्चा संभालने के लिए भाजपा ने भूपेंद्र यादव पर भरोसा जताया है। बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की मजबूत पकड़ और ममता बनर्जी की लोकप्रियता को चुनौती देने के लिए भाजपा को एक अनुभवी रणनीतिकार की जरूरत थी। भूपेंद्र यादव संगठनात्मक प्रबंधन और चुनावी समीकरणों को साधने में माहिर माने जाते हैं। उनके नेतृत्व में भाजपा बंगाल में विपक्ष की भूमिका से आगे बढ़कर सत्ता की चुनौती पेश करना चाहती है।
इसके अलावा भाजपा ने इन राज्यों में सह-प्रभारियों की भी नियुक्ति की है, ताकि हर क्षेत्र में जमीनी स्तर पर निगरानी और समन्वय बना रहे। पार्टी का मकसद है कि बूथ स्तर तक संगठन सक्रिय हो और मतदाता तक सीधे जुड़ाव बनाया जा सके। यही वजह है कि भाजपा चुनावी प्रबंधन को बहुस्तरीय ढंग से आगे बढ़ा रही है।
कुल मिलाकर, भाजपा की यह रणनीति बताती है कि पार्टी केवल केंद्रीय नेतृत्व पर निर्भर नहीं रहना चाहती, बल्कि राज्यों के हिसाब से मजबूत और अनुभवी चेहरों को आगे कर रही है। धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव की जिम्मेदारी इस बात का संकेत है कि भाजपा चुनावी राज्यों में हर मोर्चे को साधने और जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है।