Operation Mahadev : 22 अप्रैल को पहलगाम (Pahalgam) में जिन आतंकियों ने कहर ढाया था वहीं आतंकी आज ढेर कर दिए गए हैं। दिल्ली में संसद का सत्र चल रहा था नेता बहसों में उलझे थे कोई हल्ला कर रहा था, कोई विरोध जता रहा था लेकिन उसी वक़्त घाटी में चल रहा था एक और ‘सत्र’…मौत का सत्र… ‘महादेव’ का न्याय…जहां भारतीय सेना, CRPF और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor ) पर संसद में पूछे सवालों का जवाब दिया और ‘ऑपरेशन महादेव'( Operation Mahadev) के तहत तीन आतंकियों को ढेर कर दिया। ऑपरेशन महादेव की गड़गड़ाहट में वही आतंकियों का आका हाशिम मूसा, जो पहलगाम का मास्टरमाइंड था वो खुद त्राल के जंगलों में ढेर कर दिया गया। 7 मई को पहले भारतीय सेना ने पाकिस्तान में घुसकर वहां मौजूद सैन्य ठिकानों पर हमला करके उड़ा दिया लेकिन वो आतंकी फिर भी अपने अंजाम से दूर थे जिन्होने लोगों से उनका धर्म पूछ कर मारा था लेकिन अब भारतीय सेना ने उन्हें भी उनके आका के पास पहुंचा दिया।
बता दें कि श्रीनगर जिले के बाहरी इलाके में स्थित लिदवास के जंगलों में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच जबरदस्त मुठभेड़ हो गई। सेना ने इस कार्रवाई को ‘ऑपरेशन महादेव’ का नाम दिया है। सूत्रों के मुताबिक, सेना को लिडवास क्षेत्र के घने जंगलों में चार आतंकियों के छिपे होने की खबर मिली थी। वहीं अब तक की कार्रवाई में तीन आतंकियों को मार गिराने की खबर है, जबकि एक अन्य की तलाश जारी है। पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड हाशिम मूसा समेत 3 आतंकियों के मारे जाने खबर आई। सुलेमान और यासिर मूसा ने 22 अप्रैल को पाकिस्तानी आकाओं के इशारे पर पहलगाम के बैसरन में टूरिस्टों पर हमले को अंजाम दिया था। ऑपरेशन महादेव में दो आतंकियों के घायल होने की खबर भी है। जानकारी के मुताबिक, ड्रोन से ली गई तस्वीरों में आतंकियों के मारे जाने की पुष्टि हुई है।
पहलगाम हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर
ऐसा माना जा रहा है कि इन मारे गए आतंकियों का पहलगाम आतंकी हमले से कनेक्शन हो सकता है। दरअसल कु़छ दिनों पहले ही नेशनल इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी (NIA) ने दो लोगों को गिरफ्तार किया था, जिसने मिले इनपुट के बाद सेना ने यह ऑपरेशन किया था। हालांकि सेना की तरफ से अभी इस मुठभेड़ पर आधिकारिक बयान नहीं आया है।
आपको बता दें कि पहलगाम के बैसरण घाटी में 22 अप्रैल को आतंकियों ने हमला किया था। इन आतंकियों ने पर्यटकों का धर्म पूछकर उनको गोली मार दी थी। इस हमले में 26 पर्यटकों की जान चली गई, जिनमें ज्यादातर हिंदू पर्यटक थे। इस हमले की जिम्मेदारी शुरुआत में द रेसिस्टेंस फ्रंट यानी कि TRF ने ली थी। जो पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एक मुखौटा माना जाता है। हालांकि बाद में उसने इस हमले में हाथ से इनकार कर दिया था। जिसके बाद भारतीय सेना ने पहलगाम आंतकी हमले का बदला ऑपरेशन सिंदूर से लिया। भारतीय सेना ने कश्मीर में छिपे आतंकियों को पहलगाम हमले के 96 दिन बाद ढेर कर दिया।
सेना का लक्ष्य हुआ पूरा
लिहाजा सेना के इस एक्शन के बाद पाकिस्तान एक बार फिर से खौफ के माहौल में आ गया है। पूरा मुल्क डरा और सहमा हुआ है। पाकिस्तान के हुक्मरान को ये डर है कि कही ऑपरेशन सिंदूर जैसे फिर भारत पाक पर तबाही ना मच दे क्योंकि ये माना जा रहा है कि ये एक तमाचा है उसके आतंकवाद की नीति पर और जो उसका प्रेम है आतंकियों से उस पर भी है। अब सिर्फ पाकिस्तान के पास एक ही रास्ता बचता है या तो वो आतंकवाद का साथ छोड़ दे या फिर वो अंजाम भुगतने के लिए तैयार हो जाए। क्योकि भारतीय सेना अब एक- एक को चुनकर-चुनकर पाकिस्तान से खींचकर भारत में दफनाएगी। क्योंकि जिन्होंने सिंदूर से खेला उनका अंत ‘महादेव’ ने खुद ही लिख दिया। जिन्होंने भारत माता के वीरों को लहूलुहान किया, उनका हिसाब ‘लिडवास की घाटियों’ में चुकता हो गया है।