भारत ने ओवल के मैदान पर इतिहास रच दिया। भारतीय टीम ने 77 साल पुराना सिलसिला तोड़ दिया। अपने सिर से धुल दिया वो कलंक जिसको 1948 से बाद से कोशिश कर रहे थे। लेकिन भारत के युवा कप्तान शुभमन गिल की कप्तानी में टीम इंडिया ने वो कर दिखाया जो कोई और नहीं कर पाया। 1948 के बाद से ही भारत घर से बाहर 5 मेचों की टेस्ट सीरीज में सीरीज का आखिरी मैच अपने नाम नहीं कर पाए थे, लेकिन इस बार ये टीम अलग थी कुछ अलग ही मूड में थी…मूड था इतिहास रचने का…और इंग्लैंड की धरती पर भारतीय क्रिकेट टीम की दहाड़ को पूरी दुनिया ने सुना। किसी को उम्मीद भी नहीं थी कि बिना विराट कोहली और रोहित शर्मा ये टीम कोई मैच जीत भी पाएगी। इस सबके बावजूद इस टीम ने दिखाया कि भले ही हम युवा है लेकिन इस युवा में कितनी आग है वो अब इंग्लैंड की टीम के साथ-साथ पूरी दुनिया ने देखी।
घर के बाहर टीम इंडिया ने पांच मैचों की टेस्ट सीरीज 1948 से 2025 तक 17 बार तक खेली, लेकिन 2025 के अगस्त के महीने में जाकर भारत टेस्ट सीरीज जीता। 18 में से एक बार अब टीम को 1948 के बाद जीत मिली है, जबकि 10 बार हार और 7 बार मैच ड्रॉ के नतीजा स्वीकार करना पड़ा था। यहां तक कि इस साल की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर भारतीय टीम ने पांच मैचों की टेस्ट सीरीज घर के बाहर खेली थी और उस मैच में भी टीम को हार मिली थी।
इस मुकाबले की बात करें तो भारतीय टीम ने पहली पारी में 224 रन बनाए थे, जबकि जवाब में इंग्लैंड की टीम ने 247 रन बनाए और 23 रनों की बढ़त भी हासिल की, जबकि दूसरी पारी में भारत ने 396 अपने नाम किया लेकिन इंग्लैंड 367 रन में ही सिमट गया।
यशस्वी जायसवाल के शतक से शुरु हुआ ये सिलसिला मो.सिराज के कमाल के प्रर्दशन पर आकर खत्म हुआ और इंग्लैड की टीम को धूल भी चटाई। ओवल में खेले गए इस मैच को भारत ने अपना कमाल के प्रदर्शन के चलते 6 रनों से अपने नाम कर लिया। मैच कौन जीतेगा, कौन बाजी मारेगा इसके बारे में आखिर तक किसी को नहीं पता चला। कौन कहता है कि टेस्ट क्रिकेट में रोमांच नहीं होता। इंग्लैड और भारत के बीच खेली गई इस सीरीज में एक्शन था, ड्रामा था, नौक झोंक थी। सीधे शब्दों में बोलें तो एक दम पैसा वसूल सीरीज। बिना बुमराह बिना पंत के इस मैच में भारत ने इंग्लैंड को धूल चटा दी। अब इंग्लैंड की धरती पर एक बार फिर से वही गाना बजता सुनाई दे रहा ‘लेहरा दो लेहरा दो’…।
लेकिन इस सबके बीच एक चीज थी जो जीत हार से परे थी और वो था क्रिस वोक्स का जज्बा चोटिल होने के बावजूद, टूटे हाथ के साथ अपनी टीम अपने देश के लिए मैदान पर उतरे और एक बार फिर से साबित कर दिया कि देश के लिए कुछ भी कर सकते है।