रश्मि सिंह|Chhoti Diwali 2023: दिवाली के दिन यम का दीपक जलाने की परंपरा है। इसका हमारे जीवन में काफी महत्व है। पंडित मनोत्पल झा ने बताया कि यम का दीप जलाना की परंपरा काफी पुरानी है। यह दिवाली के एक दिन पहले रात को जलाया जाता है। इस दीपक को गोबर के दिए में जलाया जाता है। इस दीये को दक्षिण दिशा की ओर जलाते है। इसको जलाने में बत्ती का भी ख्याल रखना चाहिए। साथ ही, दिशा का भी काफी महत्व है। इसको जलाने का मकसद है कि सभी लोग यमराज से नरक का द्वारा बंद करने और सुख समृद्धि लाने की मनोकामना करते है, इसको जलाने से पहले समय का ख्याल भी रखना जरुरी है।
गोबर की दीया का उपयोग करे
आपको बता दें कि यम का दिया गोबर से बनाया जाता है। इसको सरसों का तेल डालकर जलाया जाता है। इसमे एक बत्ती हो इसका ख्याल रखें। यह खासकर घर के बुजुर्गों के ओर से जलाया जाना चाहिए। हम लोग जानते है कि लोगो के प्राण लेने का अधिकार यम का है। इसलिए इस दिन यम की पूजा अराधना की जाती है। प्रभू नरक के द्वारा मेरे लिए और मेरे परिवार के लिए मत खोलना ऐसी अरदास की जाती है और मेरी सुख समृद्धि बढ़े और कष्ट दूर करें। यह दीया शाम को 7 बजे के बाद ही जलाएं। इसमें तेल भरपूर मात्रा में डालें, ताकी यह दीया घंटों तक जले।
पूजा की विधि
बता दें छोटी दिवाली के दिन रात के 7:00 बजे के बाद गोबर के बने दीप को दक्षिण दिशा में मुख कर जला दें। साथ ही, दीपक की जगह अगरबत्ती या धूपबत्ती जलाकी यम देवता और माता लक्ष्मी को प्रणाम कर अपने पूर्वजों को याद करें उसके बाद ही आप वहां से अपने कार्यों के लिए निकले। इस दीपक को जलने का मतलब होता है कि यह दीपक देवताओं को प्रसन्न करने के लिए जलाया जाता है। वही, यमदेव सभी के आत्माओं को हारते है, इसलिए यमदेव की प्रार्थना कर उन्हें दीप समर्पित किया जाता है। अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति की पूजा और प्रार्थना भी यम से की जाती है।