बांग्लादेश की राजधानी ढाका में गुरुवार देर रात भड़की हिंसा ने देश के प्रमुख मीडिया संस्थानों को निशाना बनाया। प्रदर्शनकारियों ने देश के दो सबसे बड़े अखबारों—प्रथम आलो (बांग्ला भाषा) और द डेली स्टार (अंग्रेजी) के कार्यालयों में तोड़फोड़ की, लूटपाट की और आग लगा दी। इस हमले में द डेली स्टार के 28 पत्रकार और कर्मचारी कई घंटों तक इमारत की छत पर फंसकर रहे, जहां घने धुएं से सांस लेना मुश्किल हो गया था। वे मौत के मुंह से बाल-बाल बचे।
हिंसा की वजहयह हिंसा युवा नेता और कार्यकर्ता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद भड़की। हादी 2024 के छात्र आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक थे, जिसने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार को गिरा दिया था। 12 दिसंबर को ढाका में मस्जिद से निकलते समय उन पर मास्क पहने हमलावरों ने गोली चलाई थी। सिंगापुर में इलाज के दौरान गुरुवार को उनकी मौत हो गई। हादी की मौत की खबर फैलते ही उनके समर्थकों ने शाहबाग चौराहे पर प्रदर्शन शुरू किया, जो जल्द ही हिंसक हो गया।प्रदर्शनकारी इन अखबारों को “भारत समर्थक” और “हसीना का पक्षधर” मानते थे। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि भीड़ नारे लगा रही थी—”दिल्ली या ढाका: ढाका, ढाका” और “हमने खून बहाया है, और बहाएंगे”। हालांकि दोनों अखबार खुद को स्वतंत्र बताते हैं।
- रात करीब 12 बजे हमलावरों ने इमारत में घुसकर फर्नीचर तोड़ा, कंप्यूटर लूटे और आग लगा दी।
- आग की लपटें और धुआं ऊपर तक फैल गया।
- नीचे उतरने की कोशिश में पत्रकारों को खतरा महसूस हुआ, इसलिए 28 लोग छत पर चले गए और दरवाजा बंद कर लिया।
- एक पत्रकार ज्यामा इस्लाम ने फेसबुक पर लिखा: “सांस नहीं ले पा रही, बहुत धुआं है… तुम मुझे मार रहे हो।”
- धुएं से सांस लेना मुश्किल हो गया, आंखें जल रही थीं। कई घंटों तक वे छत पर फंसे रहे।
- सुबह करीब 5 बजे सेना और फायर सर्विस की मदद से सभी को सुरक्षित निकाला गया। कोई घायल नहीं हुआ, लेकिन इमारत को भारी नुकसान पहुंचा।
अंतरिम सरकार की प्रतिक्रियानोबेल विजेता मुहम्मद युनूस की अंतरिम सरकार ने हिंसा की निंदा की और कहा, “पत्रकारों पर हमला सच्चाई पर हमला है।” युनूस ने हादी की मौत को “राष्ट्र के लिए अपूरणीय क्षति” बताया और शनिवार को राष्ट्रीय शोक घोषित किया। सरकार ने दोषियों को सजा देने का वादा किया है।
यह घटना बांग्लादेश में मीडिया की स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल उठाती है, जहां पत्रकारों ने जान जोखिम में डालकर सच्चाई सामने लाने की कोशिश की। देश में शांति बहाली की जरूरत है ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया बाधित न हो।








