नई दिल्ली : यूपी (Uttar Pradesh) और राजस्थान (Rajasthan) समेत देश के कई अन्य राज्यों टिड्डियों के झुण्ड का कहर देखने को मिल रहा है। टिड्डियों के कहर (Tiddi Dal Attack) का सबसे ज्यादा खामियाज़ा किसानों (Farmers) को भुगतना पड़ रहा है, जिनकी फसलें टिड्डियों की फौज चट कर जा रही है। टिड्डियों के कहर के बारे में तो आपने सुना, लेकिन क्या आप जानते हैं कि तबाही मचाने वाले इस कीड़े को कई देशों में बड़े चाव के साथ खाया भी जाता है।
Tiddi Dal Attack : कैसे हुई इस तबाही मचाने वाले कीड़े की उत्पति ?
टिड्डियों की उत्पति को लेकर जानकार कहते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से इनकी उत्पति हुई। अरब के रेगिस्तान में इन कीड़ों का प्रादुर्भाव हुआ, जहाँ से चलकर ये दुनिया के कई देशों में पहुंचा और जामकर तबाही मचाई। अगर समय रहते सऊदी की सरकार इन कीड़ों को लेकर कोई ठोस कदम उठाती तो क्षेत्र विस्तार पर लगाम लगाया जा सकता था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं और ये कीड़े दुनिया के कोने-कोने में फ़ैल गए। भारत में इस बार पाकिस्तान के रास्ते इन कीड़ों की एंट्री हुई है। साल 2020 से पहले साल 1993 में कुछ इसी तरह इन कीड़ों का तांडव देखने को मिला था।
सेहत के लिए फायदेमंद भी है टिड्डियों का सेवन
तबाही मचाने वाले इस कीड़े को कई देशों में बड़े चाव के साथ खाया भी जाता है। आपमें से बहुतों को शायद ये मालूम नहीं होगा टिड्डी का सेवन ह्रदय के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है। इसमें पाया जाने वाला फाइटोस्टीरॉल रक्त में कॉलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है। स्टडी में ये भी सामने आया है कि ये कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के प्रकोप को भी कम करने में उपयोगी है। स्वाद की बात करें तो इसका स्वाद इमलसीफाइड बटर की तरह होता है।
इन देशों में चाव खाई जाती है टिड्डियाँ
भारत में भले ही टिड्डियों को न खाया जाता हो, लेकिन दुनिया के कई ऐसे देश हैं, जहाँ इन टिड्डियों को बड़े ही चाव से खाया जाता है। खाड़ी देश यमन, ओमान, सऊदी अरब के अलावा अफ्रीकी देशों केन्या, सूडान, चाड, नाइजर, सोमालिया में टिड्डियों को बड़े चाव से खाया जाता है। बीते साल जब पाकिस्तान में टिड्डियों का उत्पात बढ़ा था तो सिंध प्रान्त के एक मंत्री ने लोगों से इन टिड्डियों को खाने की अपील की थी।
टिड्डे कीड़े हैं और इन कीड़ों की ख़ास बात ये है कि ये अकेले यात्रा नहीं करते, बल्कि बड़े झुंडों में यात्रा करते हैं। इन कीड़ों का एक जगह से दूसरे जगह तक पहुंचना हवा की गति के आधार पर तय होता है। जानकारों की मानें तो टिड्डे एक दिन में 150 किलोमीटर तक की यात्रा कर सकते हैं। कहने को ये भले ही छोटे कीड़े हो, लेकिन ये कीड़े बड़े आर्थिक नुकसान का भी कारण बन सकते हैं। दरअसल टिड्डे फसलों को तबाह कर देते हैं और बड़ी कृषि क्षति का कारण बनते हैं, जिससे अकाल और भुखमरी तक हो सकती है।