नई दिल्ली (uttarakhand fire) : विश्व के अलग-अलग हिस्सों में अवस्थित जगंलों में आग लगने की घटनाएं रोज हम सुनते हैं। मगर जंगलो में आग कैसे लगती है, इस सवाल का जवाब सभी जानना चाहते हैं। कई बार जंगल में आग लगने की वजह मानव जनित भी होती है। कई बार ग्रामीण जंगल में जमीन पर गिरी पत्तियों या सूखी घास में आग लगा देते हैं। जिससे उसकी जगह नई घास उग सक, लेकिन आग इस कदर फैल जाती है कि वन संपदा को खासा नुकसान होता है। एक कारण और है जो कि जंगलो में सिगरेट पीने के बाद माचिस की तीली फेंक देते हैं।
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चीड़ की पत्तियों के कारण लगती है आग
- वहीं, दूसरा कारण चीड़ की पत्तियों में आग का भड़कना भी है। चीड़ की पत्तियां और छाल से निकलने वाला रसायन, रेजिन, बेहद ज्वलनशील होता है। जरा सी चिंगारी लगते ही आग भड़क जाती है और विकराल रूप ले लेती है।
- वहीं अगर हम उत्तराखंड की जगलों की बात करें तो करीब 16 से 17 फीसदी जंगल में चीड़ के पेड़ हैं। इन्हें जंगलों की आग के लिए मुख्यतः जिम्मेदार माना जाता है। वहीं, कम बारिश होना भी जंगलों में आग लगने का एक प्रमुख कारण हो सकता है।
- जगलों में आग की घटनाओं को कम करने के लिए सरकरें कई प्लान भी बनाती है। एक तय समय सीमा में सरकारें जगलों में पानी का भी छिड़काव करवाती है। जिससे जमीन में आद्रता बनी रही ।
- जंगलों में आग की घटनायें वैसे तो मई और जून में भड़कती है। क्य़ोकि उस समय धरती आग उगलती है। ज्ञात हो कि एक अप्रैल से लेकर पांच अप्रैल तक उत्तराखंड के जगलों में कुल 261 बार आग लगी।