नई दिल्ली : कोविड -19 वैक्सीन की सीमित सप्लाई ने टीकाकरण अभियान को धीमा कर दिया है. यही वजह है कि देश भर में कई लोगों को स्लॉट बुक करने में परेशानी हो रही है. वहीं वैक्सीनेशन को लेकर आम जनता के बीच कई सवाल हैं जो लगातार सोशल मीडिया से लेकर पब्लिक प्लैटफॉर्म पर पूछे जा रहे हैं. इन सवालों में सबसे ज्यादा ये पूछा जा रहा है कि कोविड-19 का पहला टीका लगवाने के बाद दूसरे टीके में कितना अंतर होना चाहिये, या पहला टीका लगाने के बाद अगर आप संक्रमित हो जाते हैं तो क्या करना चाहिए?
यह है नियम
देश में टीकाकरण की शुरुआत से अबतक 17.7 करोड़ से ज्यादा लोगों को कोविशील्ड या कोवैक्सीन लगाया जा चुका है. इन 17 करोड़ में से 3.9 करोड़ लोगों को वैक्सीनेशन की दूसरी डोज दी जा चुकी है. वहीं ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) द्वारा दी गई शुरुआती जानकारी के अनुसार, कोविशिल्ड के पहले खुराक के 28 दिनों बाद कोवैक्सिन की दूसरी खुराक दी जानी चाहिए. हालांकि बाद में इस अंतराल को कोविशिल्ड के लिए 4-8 सप्ताह और कोवैक्सिन के लिए 4-6 सप्ताह तक बढ़ाया गया था. अप्रैल में, केंद्र ने सलाह दी कि पहले वैक्सीन लेने के 6-8 सप्ताह बाद भी दूसरी कोविशिल्ड खुराक ली जा सकती है.
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सुझाव
यूएस सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDV) का सुझाव है कि अगर किसी व्यक्ति को अबतक वैक्सीन नहीं लगी है और वो कोरोना संक्रमित हो गया है. तो उसे वैक्सीन लेने से पहले कोविड -19 के पॉजिटिव होने के दिन से 90 दिनों तक इंतजार करना चाहिए.
जानिए अहम बातें
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (IISER) के इम्यूनोलॉजिस्ट डॉ. विनीता बाल ने कहा कि इस बीमारी से ठीक होने के बाद संक्रमण-ट्रिगर इम्यूनिटी ( infection-triggered immunity) कुछ महीनों तक चलने की संभावना है, वैक्सीन लगवाने के पहले रिकवरी के बाद 6-8 सप्ताह तक इंतजार करना उचित होगा. वहीं वैक्सीन वैज्ञानिक डॉ. गगनदीप कंग ने कहा कि यूके के डेटा से पता चलता है कि SARS-CoV-2 वायरस के प्राकृतिक संक्रमित होने के बाद शरीर 80 प्रतिशत तक इम्सुयूनिटी जेनरेट कर लेता है. उन्होंने कहा कि संक्रमण के बाद वैक्सीन लगाने के लिए छह महीने तक इंतजार करना ठीक है. यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की सिफारिशों के अनुरूप है, जिन्होंने आंकड़ों की समीक्षा की और कहा कि संक्रमित होने के बाद टीकाकरण के लिए छह महीने तक इंचजार करना सही है, क्योंकि तब तक शरीर में प्राकृतिक एंटीबॉडीज बनी रहती है.