जनतंत्र डेस्क Sardar Udham Review: जब भी सिनेमाई पर्दे की बात होती है तो दर्शकों के मन में हिरो होता है, हिरोइन और फिल्म की कहानी। फिल्मों का आकलन अक्सर एक ही चीज से किया जाता है वो है मनोरंजन। कहा जाता है फिल्म एंटरटेनिंग होनी चाहिए। बात सही है मगर कुछ फिल्मों को हम सिर्फ एंटरटेंनिंग बोल कर उन्हें कमतर नहीं आंक सकते। प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष, सीधे या टेढ़े किसी ना किसी तरह से सिनेमा का हमारी जिंदरी में खासा प्रभाव रहता है। इसलिए एक मूवी में भी सभी बातों का समावेश होता है।
पिछले कुछ सालों से बॉलीवुड में लीक से हटकर फिल्में बनाने का चलन बढ़ गया है। जिनको मनोरंजन के चश्मे से ना देखा जाए तो वे बेहतरीन फिल्मों में रही हैं। कुछ इसी तरह की है विक्की कौशल की ‘सरदार उधम’। विक्की कौशल के साथ साथ बात शूजित सरकार की भी होना चाहिए जो इस फिल्म के डायरेक्टर हैं। ‘सरदार उधम’ निर्देशक शूजित सरकार की महत्वाकांक्षी फिल्मों में से एक है। कहा जा रहा है, 20 साल पहले शूजित ने इसे बनाने का विचार किया था। जब वह दिल्ली से मुंबई पहुंचे थे तब ही इस पर फिल्म बनाना चाहते थे लेकिन पैसे की कमी के चलते इसे बनाने में उन्हें दो दशक लग गए। अब फिल्म ओटीटी पर रिलीज कर दी गई। लेकिन यह फिल्म पर्दे पर छाने लायक है। सरदार उधम देखने के बाद हर कोई विक्की कौशल की अदाकारी का लोहा मानेगा।
Sardar Udham Review: क्या है कहानी
1919 में जालियांवाला बाग कांड। जिसके बाद सरदार उधम सिंह ने कसम खा ली थी कि वह इसका बदला लेंगे। यह एक हीरो की कहानी है जो एक विलेन से बदला लेना चाहता है। जिसकी वजह से उसने अपना सबकुछ खो दिया। असल में उधम सिंह के बारे में हमने किताबों में ही ज्यादा पढ़ा है। उधम सिंह का नाम हमारी आज़ादी की लड़ाई के उन नायकों में लिया जाता है जिन्होंने अंग्रेज़ हुकूमत के आगे झुकने और माफी मांग कर जान बचाने के बजाय हंसकर मौत को गले लगाना क़ुबूल किया। फिल्म में उधम सिंह के बारे में काफी गहराई से बताया गया है।
फिल्म में उधम यानि विक्की कौशल एक युवा लड़का, जिसने दुनिया के क्रूरतम नरसंहारों में से एक को देखा था। उसके दिमाग में इसका इतना आघात पहुंचता है कि उसका एक ही उद्देश्य है। उस खलनायक को मारना। फिल्म में एक जगह ड्वायर की हत्या के लिए जेल में बंद उधम सिंह को उनकी विदेशी शुभचिंतक अंग्रेज सरकार से माफी मांगने की सलाह देती है। लेकिन उधम ये सलाह ठुकरा देते है
दमदार हर किरदार
फिल्म में खलनायक का किरदार निभा रहे शॉन स्कॉट जो माइकल ओ डायर की भूमिका में नजर आएंगे। शॉन स्कॉट ने फिल्म में अपना दमदार अभिनय दिखाया है। कहा जाता है एक बेहतर विलेन वो होता है जिसे देखते हुए लोगों को उससे नफरत होने लगे। माइकल ओ डायर को देखते हुए नफरत होने लगती है। फिल्म के आखिरी एक घंटे में उधम की वीरता की कहानी छा जाती है। बताया जाता है कि शूजित पहले इस फिल्म को इरफान खान के साथ बनाने वाले थे। इरफान खान का कैंसर से निधन हो गया। जिस वजह से यह किरदार विक्की कौशल के पास चला गया।
आखिरी एक घंटे में जलियांवाला बाग नरसंहार की ऐतिहासिक घटना के फिल्मांकन में डायरेक्टर शूजित और विक्की कौशल अद्भुत नजर आए। एक क्रांतिकारी की जीवन गाथा होने के बावजूद यह फिल्म कोई अति नाटकीय, नारेबाजी वाला राष्ट्रवादी माहौल सृजित करने से बचती है। निर्देशक शूजीत सरकार की सूझबूझ और अभिनेता विकी कौशल ने फिल्म को कहीं भी लाउड नहीं होने दिया है। विकी कौशल के अभिनय से कह सकते हैं कि यह उनकी अब तक की अभिनय यात्रा में मील का पत्थर का दर्जा रखती है।