रश्मि सिंह|S Jaishankar: केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बयान पर नाराजगी जाहिर की है। जो बाइडन ने भारत और जापान को जेनोफोबिक देश कहा था। इस पर विदेश मंत्री जयशंकर ने एक इंटरव्यू में कहा कि, भारत का समाज हमेशा अ्य समाजों के लोगों के लिए खुला रहा है। जयशंकर ने आगे कहा कि, केंद्र सरकार का नागरिकता संशोधन अधिनियम मुसीबत में फंसे लोगों के लिए दरवाजे खोलता है।
जयशंकर ने जाहिर की नाराजगी
जानकारी के लिए बता दें कि, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के जेनोफोबिक वाले बायन पर विशेद मंत्री एस जयशंकर ने नाराजगी जाहिर की है। जयशंकर ने कहा कि, भारत के नए नागरिकता संशोधन कानून नए लोगों को स्वागत कर रहा है। उन्होंने कहा कि, “यहीं वजह कि भारत के पास सीएए कानून है जो मिश्किल में फंसे लोगों को भारत की नागरिकता देने का काम करता है। एस जयशंकर ने कहा कि हमें उन लोगों के स्वागत के लिए तैयार रहना चाहिए, जिन्हें आने की जरूरत है और जिनका हक बनता है।”
जो बाइडन ने क्या कहा ?
आपको बता दें कि, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भारत की तुलना रूस और चीन जैसे देशों के साथ करते हुए उसे एक जेनोफोबिक देश बताया था। जेनोफोबिक का मतलब यानी ऐसे देश, जो आप्रवासियों को अपने देश में कतई नहीं चाहते या उनसे डर का माहौल पैदा किया जाता है।
दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि, हम आप्रवासियों का स्वागत करते है। सोचिए कि क्यों चीन आर्थिक रूप से इतनी बुरी तरह फंसा हुआ है? जापान को परेशानी क्यों हो रही है? रूस को क्यों परेशानी हो रही? भारत को क्यों परेशानी हो रही है? क्योंकि वे जेनोफोबिक है, वे आप्रवासी नहीं चाहते है।