Karwa Chauth: करवा चौथ का व्रत रखने वाली सुहागिनें सभी ज़रूरी नियमों का पालन करें क्योंकि इस साल करवा चौथ पर बन रहा है विशेष संयोग।
जनतंत्र डेस्क: Karwa Chauth: हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन महिलाएँ अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत करती हैं, इस दिन को करवाचौथ कहते हैं। करवा चौथ का व्रत जीवन में सुख-समृद्धि भी लाता है। इस साल करवा चौथ 24 अक्टूबर यानी रविवार के दिन पड़ रहा है। यह व्रत सूर्योदय के पहले शुरू होता है और रात में चंद्रमा को अर्ध्य देने के साथ पूरा होता है।
Karwa Chauth: ऐसे करें विधिवत पूजा
इस दिन विवाहित महिलाएँ सूर्योदय से पहले जागकर नहा-धोकर सास द्वारा दी गई सरगी खाती हैं। इसके बाद सुहागनों को पूरा दिन निर्जला और निराहार रहना होता है। महिलाएँ दोपहर में या शाम को कथा सुनती हैं। कथा के लिए पटरे पर चौकी में जलभरकर रख लें। थाली में रोली, गेंहू, चावल, मिट्टी का करवा, मिठाई, बायना का सामान आदि रखते हैं। प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा से व्रत की शुरुआत की जाती है। गणेश जी विघ्नहर्ता हैं इसलिए हर पूजा में सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है।
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Karwa Chauth: इन बातों का रखें ध्यान
इस बात का ध्यान रखें कि सभी करवों में रौली से सतिया बना लें। अंदर पानी और ऊपर ढक्कन में चावल या गेहूँ भरें। इसके बाद शिव परिवार का पूजन कर कथा सुननी चाहिए। शाम को महिलाएँ सोलह शृंगार करके शिव-पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और चंद्रमा की पूजा करती हैं। साथ ही करवे (मिट्टी के बर्तन) में पकवान रखकर करवे की पूजा करती हैं। करवे बदलकर सास के पैर छूकर उन्हें बायना दे दें। फिर रात में चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद गणेश जी के साथ चतुर्थी माता को भी अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद पति का चेहरा छलनी में देखकर और पैर छूकर व्रत खोलना चाहिए।