जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: तकरीबन 15 दिन पहले राजस्थान के नागौर में हुई खगोलीय घटना पर अब ISRO की टीम रिसर्च करेगी। नागौर में कुछ दिन पहले नागौर के बड़ायली में उल्का पिंड गिरने का मामला सामने आया था। यह असाधारण घटना एक होटल के कैमरे में कैद हो गई थी। जिसके आधार पर वैज्ञानिकों की टीम खोज में जुट गई है।
CCTV में कैद हुई घटना के आधार पर वैज्ञानिकों की टीम संभावना जता रही है कि वहां से उत्तर दिशा में 40 किमी की दूरी पर उल्का पिंड गिरा है। इसके लिए ISRO की फिजिकल रिसर्च लैब टीम ने तथ्य जुटाने शुरू कर दिए। टीम उल्का पिंड के पार्टिकल्स खोजने में जुट गई है। बड़याली के होटल के सीसीटीवी के अलावा ISRO की रिसर्च टीम आस पास के कैमरों की रिकॉर्डिंग भी खंगाल रही है। इसके लिए पूरे एरिया को ट्रैक किया जा रहा है।
राजस्थान में पहले भी गिरे उल्का पिंड
बताया जा रहा है राजस्थान में अब तक 21 उल्का पिंड गिर चुके हैं। साल 2000 के बाद 6 अलग-अलग उल्का पिंडो की पहचान की जा चुकी है। नागौर में हुई खगोलीय गटना के लिए रिसर्च टीम आस-पास के 15 गांवों के एरिया को ट्रैक कर रही है। इस घटना का सीसीटीवी 3 जनवरी को सामने आया था।
क्या होते हैं उल्का पिंड
विशेषज्ञों के अनुसार, उल्का पिंड पत्थर या लोहे से भरे पिंड होते हैं, जो ग्रहों के हिस्से होते हैं। ये टूटे हुए या फिर तैरते हुए मिल सकते हैं। अधिकांश उल्का पिंड पूरी तरह से वातावरण में जल जाते हैं। कभी-कभी धरती पर आने के बाद बचे हुए टुकड़े मिल जाते हैं।