जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: होली की तैयारियां चल रही हैं। रंग-गुलाल अबीर की दुकानें सज गई हैं। बाजार रंगो से सराबोर है। हर साल फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन का त्योंहार मनाया जाता है। होलिका दहन के अगले दिन रंगो वाली होली खेली जाती है। इस दिन चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि होती है।
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होली को रंगो का त्योंहार भी कहा जाता है। लोग एक दूसरे को रंग लगाकर गिले शिकवे दूर करते हैं और उत्साह के साथ त्यौहार सेलिब्रेट करते हैं। होली से 8 दिन पहले होलाष्टक लग जाते हैं जिस दौरान कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है। इस साल होलिका दहन साल पूर्णिमा तिथि 17 मार्च को है और प्रतिपदा तिथि 18 मार्च को होली का रंगोत्सव यानी रंगो वाली होली होगी।
पूजा का शुभ मुहुर्त
भारतीय त्योंहार शुभ मुहुर्त और तिथि के अनुसार मनाए जाते हैं। होली के मौके पर पूजा का शुभ मुहुर्त पूर्णिमा तिथि 17 मार्च 2022 को दोपहर 1 बजकर 29 मिनट से शुरू होकर 18 मार्च दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, होलिका दहन का मुहूर्त 17 मार्च को रात 9 बजकर 20 मिनट से देर रात 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। यानि होलिका दहन के लिए करीब 1 घंटा 10 मिनट का समय मिलेगा। होलिका दहन में मुहूर्त का खास तौर पर ध्यान रखा जाता है।
होलिका दहन का योग
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, होलिका दहन पूर्णिमा तिथि में प्रदोष काल के दौरान किया जाना चाहिए। भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि होलिका दहन के लिए सही मानी जाती है। अगर ऐसा योग नहीं है तो भद्रा का समय समाप्त होने के बाद होलिका दहन किया जा सकता है। ध्यान रहे कि भद्रा मुख में होलिका दहन वर्जित माना जाता है। भद्रा मुख में होलिका दहन करने से ना केवल दहन करने वाले का बुरा होता है बल्कि उससे जुड़े लोगों का भी काफी बुरा होता है।
कब लगेगा होलाष्टक
होलाष्टक में कोई भी शुभ कार्य नहीं होते हैं। माना जाता है इस दिन होली का डांडा रोपा जाता है जिसके बाद शुभ कार्य नहीं होते। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक शुरू हो जाते हैं जो कि होलिका दहन के साथ खत्म होते हैं। इस साल होलाष्टक 10 मार्च से लग रहा है। होलाष्टक 10 मार्च को सुबह 02:56 बजे से शुरू हो जाएगा और 17 मार्च को खत्म होगा।