जनतंत्र डेस्क, बेंगलुरु: एक शख्स 40 पैसे के लिए रेस्टोरेंट के खिलाफ कंज्यूमर कोर्ट पहुंच गया। लेकिन नतीजा वैसा नहीं हुआ जैसा ग्राहक ने सोचा था। रेस्टोरेंट के खिलाफ केस करना शख्स को ही महंगा पड़ गया और उसे ही हजारों रूपए हर्जाना देना पड़ा।
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मामला बेंगलुरु का है जहां बीते दिनों एक ग्राहक ने खाने पर 40 पैसे ज्यादा लेने पर एक रेस्तरां के खिलाफ उपभोक्ता न्यायालय में मुकदमा किया। इस मामले की सुनवाई तकरीबन 8 महीने चली। लेकिन आखिर में कोर्ट ने ही याचिकाकर्ता पर कोर्ट का वक्त बर्बाद करने का दोष लगाते हुए जुर्माना लगा दिया। अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता ने व्यर्थ की लोकप्रियता पाने के लिए केस दायर किया था, जिसकी वजह से कोर्ट का बहुमूल्य समय बर्बाद हुआ। याचिकाकर्ता को अब मुआवजे के तौर पर रेस्तरां को 4 हजार रुपये भुगतान करने होंगे।
मामला साल 2021 का है जब मुर्ति नाम के एक शख्स ने बेंगलुरु में होटल अंपायर से खाना ऑर्डर किया। खाने पर रेस्टोरेंट में उन्हें 265 रुपये का बिल थमा दिया। हालांकि खाने का बिल 264.60 रुपए था। मूर्ति ने इसके बारे में रेस्टोरेंट के स्टाफ से पूछा। जब स्टाफ ने कोई जवाब नहीं दिया तो उन्होंने नाराजगी जाहिर की और रेस्टोरेंट पर ग्राहकों को लूटने का आरोप लगाया। इतना ही नहीं मूर्ति रेस्तरां के खिलाफ कंज्यूमर कोर्ट पहुंच गए।
वहीं, रेस्तरां की तरफ से वकीलों ने केंद्रीय वस्तु और सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 170 का तर्क दिया। 8 महीने तक चली सुनवाई के बाद मामले में अदालत ने फैसला देते हुए मूर्ति को फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि भारत सरकार के नियमों के मुताबिक 50 पैसे से कम को इग्नोर किया जा सकता है और इससे ज्यादा है तो उसे एक रुपया बनाया जा सकता है।