जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: एक महीने से ज्यादा का समय हो गया रूस-यूक्रेन के बीच जंग जारी है। रूस के हमले में यूक्रेन के कई शहर तबाह हो गए हैं। दुनिभार मे इस जंग से चिंता बनी हुई है। युद्ध में किसी भी देश को फायदा कुछ नहीं होता लेकिन खो बहुत कुछ जाता है। इसका असर जंग वाले दो देशों तक ही नहीं रहता बल्कि वैश्विक स्तर पर भी होता है।
यूक्रेन पर रूस का अटैक जारी, ये जंग शरणार्थी संकट की आहट तो नहीं
रूस-यूक्रेन जंग के बीच दुनिया कई संकटों से जूझ रही है। जंग सैन्य सुरक्षा, मानवीय संकट, शरनार्थी संकट के साथ साथ वैश्विक मंदी को भी न्यौता देती है। कच्चे तेल और गैस के दाम भी तेजी से बढ़ रहे हैं। कोरोना महामारी से उबर रहे विश्व के सामने अब खाद्य सुरक्षा का भी संकट खड़ा हो गया है।
खाद्य संकट और महंगाई
रूस यूक्रेन की जंग शुरू होते ही महंगाई उच्च स्तर पर पहुंचने लगी थी। आज तेल के दाम आसमान छू रहे हैं। सूरजमुखी के तेल की सप्लाई करने वाला सबसे प्रमुख देश यूक्रेन ही है। यूक्रेन और रूस ऊर्जा उत्पादन के साथ ही साथ गेहूं और जौ के उत्पादन में भी विश्व के सबसे बड़े देशों में से एक हैं। दुनिया में गेहूं और जौ के आयात का लगभग एक तिहाई हिस्सा इन्हीं दो देशों से होता है। युद्ध के बीच दुनिया में खाद्य पदार्थों की सप्लाई बाधित हो रही है, जिस कारण इनके दाम तेजी से बढ़ रहे हैं।
UN ने जारी की थी चेतावनी
पहले कोरोना महामारी और अब दो देशों की बीच युद्ध…दुनिया के सामने इस स्थिति ने बड़ा खाद्य संकट खड़ा कर दिया है। वहीं, कई देशों में भुखमरी पहले से ही बढ़ रही है। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अफगान नागरिकों के हालात बदतर हो गए हैं। देश में भुखमरी इस कदर हावी हो गई कि लोग अपने बच्चे बेचने को मजबूर हो गए हैं।
विश्व खाद्य सुरक्षा समिति ने चेतावनी जारी करते हुए कहा था कि कोरोना महामारी ने पहले से ही दुनिया के सामने बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। भुखमरी पहले से ही बढ़ रही है। महामारी से पहले की तुलना में वर्तमान में 16.1 करोड़ ज्यादा लोग भुखमरी से पीड़ित हैं। इस समय इनकी संख्या 82.1 करोड़ के करीब है।
रूस-यूक्रेन पर निर्भर कई देश
दुनिया के कई ऐसे देश हैं, जो खाद्य सामग्री के लिए रूस और यूक्रेन पर पूरी तरह से निर्भर हैं। बांग्लादेश ही कुल खपत का लगभग आधा गेहूं रूस और यूक्रेन से आयात करता है।
श्रीलंका में आर्थिक संकट
श्रीलंका अब तक के अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। यहां आर्थिक संकट के कारण महंगाई ऐतिहासिक रूस से बढ़ गई है। लोग अपने बच्चों के साथ देश छोड़ने को मजबूर हैं। मार्च 2020 में कोविड लॉकडाउन के दौरान, श्रीलंका के प्रमुख उद्योग चाय, कपड़ा और पर्यटन बुरी तरह प्रभावित हुए थे। तब से देश आर्थिक मंदी से उबर नहीं पाया।