जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: लाउडस्पीकर पर विवाद के बीच बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने बयान दिया है। तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर लिखा, “लाउडस्पीकर को मुद्दा बनाने वालों से पूछता हूं कि लाउडस्पीकर की खोज 1925 में हुई और भारत के मंदिरों/मस्जिदों में इसका उपयोग 70 के दशक के आसपास शुरू हुआ.जब लाउडस्पीकर नहीं था तो भगवान और खुदा नहीं थे क्या?
लाउडस्पीकर को मुद्दा बनाने वालों से पूछता हूँ कि Loud Speaker की खोज 1925 में हुई तथा भारत के मंदिरो/मस्जिदों में इसका उपयोग 70 के दशक के आसपास शुरू हुआ।
जब लाउडस्पीकर नहीं था तो भगवान और ख़ुदा नहीं थे क्या? बिना लाउडस्पीकर प्रार्थना, जागृति, भजन,भक्ति व साधना नहीं होती थी क्या?
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) May 1, 2022
तेजस्वी यादव ने आगे लिखा, बिना लाउडस्पीकर प्रार्थना, जागृति, भजन,भक्ति व साधना नहीं होती थी क्या?” एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, “असल में जो लोग धर्म और कर्म के मर्म को नहीं समझते हैं वही बेवजह के मुद्दों को धार्मिक रंग देते हैं। आत्म-जागरुक व्यक्ति कभी भी इन मुद्दों को तूल नहीं देगा। कोई भी धर्म और ईश्वर कहीं किसी लाउडस्पीकर के मोहताज नहीं हैं।”
लाउडस्पीकर विवाद को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि उनकी सरकार धार्मिक गतिविधियों में हस्तक्षेप नहीं करती है। उन्होंने धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर चल रहे विवाद को खारिज कर दिया था।
पत्रकारों के लाउडस्पीकर को लेकर पूछे गए सवाल पर नीतीश कुमार ने कहा था कि इस फालतू बात के बारे में बात नहीं करते हैं। ये सबको पता है कि बिहार में हम धार्मिक गतिविधियों में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करते हैं। ये भी है कि कुछ लोग सोचते हैं कि उपद्रव करना ही उनका काम है तो वो इसे जारी रखते हैं।
बिहार में लाउडस्पीकर को लेकर मांग की जा रही है कि यूपी की तर्ज पर यहां भी पूजा स्थल से लाउड स्पीकर हटा दिया जाए।