जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में मिड डे मील में नमक रोटी का खुलासा करने वाले स्वतंत्र पत्रकार पवन जायसवाल नहीं रहे। पवन जायसवाल को कैंसर था कुछ दिन पहले ही उन्होंने अपने इलाज के लिए फंड की मांग की थी। लेकिन वे जिंदगी की जंग हार गए। पवन जायसवाल साल 2019 में तब चर्चा में आ गए थे जब उन्होंने मिर्जापुर के एक प्राथमिक विद्यालय में मिड डे मील योजना के तहत बच्चों को नमक रोटी परोसे जाने का मामला उजागर किया था।
पवन जायसवाल का बनाया वीडियो खूब वायरल हुआ उसके बाद प्रशासन पर सवाल भी खड़े हुए। बाद में स्कूल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई तो हुई लेकिन पवन जायसवाल पर भी मामला दर्ज हो गया और वे सरकार के निशाने पर आ गए थे।
दुनियाभर में हुई चर्चा
पवन जायसवाल ने जमालपुर विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय सिउर में कक्षा एक से पांचवीं तक के बच्चों को नमक रोटी परोसे जाने की तस्वीर दुनिया के सामने लाई थी। जायसवाल पर मामला दर्ज करने के बाद कई पत्रकारों ने विरोध प्रदर्शन भी किया था। जांच के बाद जायसवाल को क्लीन चिट दे दी गई थी। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया था।
Pawan Jaiswal was a solid reporter, and did important stories.
But when it came to his cancer treatment, he had to appeal for funds.
Journalists based in talukas and districts risk too much for too little in return.
How we treat them remains a big blot on our profession.
— Parth MN (@parthpunter) May 6, 2022
पवन जायसवाल को मुंह का कैंसर था और एक करीब एक महीने पहले ही उन्होंने अपने इलाज के लिए फंड की अपील की थी। उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी को ट्विटर पर टैग कर मदद की अपील की थी। जायसवाल की मदद कुछ नेताओं और पत्रकारों ने जरूर की लेकिन वह नाकाफी साबित हुई।
दवाई के भी पैसे नहीं थे
कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि उनके पास रोज की दवाई खरीदने तक के पैसे नहीं थे। जायसवाल का इलाज वाराणसी के एक अस्पताल में चल रहा था। रिपोर्टों के मुताबिक पवन का दोबारा ऑपरेशन का खर्च करीब डेढ़ लाख आया था जबकि इससे पहले उनके चार लाख रुपये खर्च हो चुके थे।
जायसवाल ने मदद के लिए 11 अप्रैल को ट्वीट किया था उसमें उन्होंने लिखा था, “जिंदगी में हमने ईमानदारी की पत्रकारिता की है, नमक रोटी बच्चों को खिलाई जा रही थी, उसका खुलासा हमने किया। लेकिन अब हमारी उम्मीद छूट रही है। इस वक्त हमें पैसे की आवश्यकता है, इलाज के लिए। हम कैंसर की समस्या से जूझ रहे हैं। कृपया मदद करें।”