जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: देवबंध में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय सम्मेलन का आज आखिरी दिन है। सम्मेलन में प्रोफेसर मौलाना नोमानी शाहजहांपुरी ने कॉमन सिविल कोड पर प्रस्ताव रखा। साथ ही उन्होंने कहा, “मुस्लिम पर्सनल लॉ को खत्म करने के लिए सरकार कॉमन सिविल कोड लाना चाहती है, जो बर्दाश्त नहीं होगा।
शादी, तलाक जैसी चीजें मजहबी हिस्सा हैं। मुल्क के हर शहरी को आजादी का हक हासिल है। मुसलमान अपने मजहबी लॉ में कोई बदलाव मंजूर नहीं करेंगे। अगर सरकार ऐसा करती है तो हम हर तरह के विरोध को मजबूर होंगे।”
ज्ञानवापी और मथुरा पर चर्चा
सम्मेलन में वाराणसी के ज्ञानवापी, मथुरा के शाही ईदगाह-श्रीकृष्ण जन्मभूमि, कुतुबमीनार जैसे मसलों पर चर्चा चल रही है। आज के सम्मेलन पर देशभर के मुसलमानों समेत तमाम हिंदूवादी दलों की भी निगाहें टिकी हैं। इस सम्मेलन में देशभर के करीब तीन हजार मुसलमान शामिल हुए हैं।
जमीयत का का बजट पास
कांफ्रेंस की शुरुआत में जमीयत उलमा–ए–हिंद का सत्र 2022–23 का बजट पेश किया गया। इस सत्र का बजट 13 करोड़ 35 लाख 70 हजार रुपए का रखा गया है। इसमें दीनी तालीम और स्कॉलरशिप पर एक–एक करोड़ रुपए खर्च होंगे। डेढ़ करोड़ रुपए जमीयत फंड रिलीफ के लिए आरक्षित किए गए हैं। पिछले सत्र में करीब 8 करोड़ रुपए का बजट था, जो इस बार करीब 5 करोड़ रुपए बढ़ गया है। जमीयत की नेशनल कांफ्रेंस में इस बजट प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है।