Allahabad High Court News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा की श्री कृष्ण जन्मभूमी और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में अंतरिम फैसला सुनाया है। इस दौरान कोर्ट ने पुराणों को लेकर जो टिप्पणी की, उससे बवाल मच गया है। हाईकोर्ट ने कहा कि ” पुराण प्रामाणिक नहीं हैं। पुराणों में लिखी बातें सुनी सुनाई बातें होती हैं। इसलिए उसे प्रत्यक्ष सबूत के तौर पर नहीं माना जा सकता। इसी को आधार बनाते हुए कृष्ण जन्मभूमी मामले में श्री जी राधा रानी को पक्षकार बनाए जाने की अर्जी को भी खारिज कर दिया है।
कृष्ण के साथ राधारानी भी दावेदार
श्री कृष्ण जन्मभूमी और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले पर जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र की सिंगल बेंच सुनवाई की। इस दौरान बेंच ने कहा कि “मथुरा मामले में 13.37 एकड़ जमीन का विवाद है। इस बात का कोई प्रमाणिक सबूत नहीं है कि श्री जी राधा रानी भगवान श्री कृष्ण के साथ संयुक्त रूप से दावेदार हैं। यह याचिका सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रीना एन सिंह की तरफ से दाखिल की गई थी। याचिका में कहा गया था कि “पुराणों और संहिताओं में राधा रानी को भगवान कृष्ण की आत्मा माना गया है। वह श्री कृष्ण जी की पहली पत्नी थीं। ब्रह्मा जी ने दोनों का विवाह कराया था। इसी का हवाला देते हुए भगवान श्री कृष्ण के साथ राधा रानी के भी विराजमान होने का दावा किया गया है।”
“पौराणिक तथ्य सुनी-सुनाई बातें” – HC
कोर्ट ने कहा कि पौराणिक तथ्यों को आम तौर पर कानूनी संदर्भ में सुनी-सुनाई बातों के सबूत के रूप में ही माना जाता है। इसे कतई प्रत्यक्ष प्रमाण के तौर पर नहीं माना जा सकता. इसलिए सिर्फ पौराणिक आधार पर अर्जी को मंजूर नहीं किया जा सकता। इस दलील के आधार पर सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रीना एन सिंह की अर्जी को खारिज कर दिया है।
कोर्ट की टिप्पणी पर मचा बवाल
दरअसल मथुरा की श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद केस से जुड़ी हुई सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रीना एन सिंह ने पिछले दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। उन्होंने देवी श्री जी राधा रानी को भी पक्षकार बनाए जाने की मंजूरी दिए जाने की अपील की। भगवान कृष्ण का जन्मस्थल जो कि शाही ईदगाह मस्जिद के कब्जे में है। वहां का हकदार श्री कृष्ण के साथ-साथ राधा रानी भी है। ऐसे में मंदिर मस्जिद विवाद में हाईकोर्ट में जिन 18 याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है। इस मामले में कोर्ट का टिप्पणी के बाद हंगामा खड़ा हो गया है। पुराणों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जो टिप्पणी की थी, उस पर याचिकाकर्ता अधिवक्ता रीना एन सिंह भी अदालत के फैसले से सहमत नहीं है।