बांग्लादेश के मयमनसिंह जिले के भालुका उपजिला में 18 दिसंबर 2025 की रात एक दिल दहला देने वाली घटना हुई। एक हिंदू युवक दीपू चंद्र दास (उम्र करीब 25-30 साल) को धार्मिक अपमान (ब्लास्फेमी) के आरोप में भीड़ ने घेर लिया और बुरी तरह पीट-पीटकर मार डाला। दीपू एक गारमेंट फैक्ट्री में मजदूर थे और इलाके में किराए पर रहते थे। आरोप लगाया गया कि दीपू ने पैगंबर मुहम्मद के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की थी। यह अफवाह फैक्ट्री और आसपास तेजी से फैली। रात करीब 9 बजे गुस्साई भीड़ ने उन्हें पकड़ा, मार डाला और फिर शव को पेड़ से बांधकर आग लगा दी। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि शव को ढाका-मयमनसिंह हाईवे पर ले जाकर जलाया गया। घटना के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए, जिनमें भीड़ नारे लगाते और मोबाइल से वीडियो बनाते दिख रही है।
घटना उस समय हुई जब बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर अशांति चल रही थी। जुलाई विद्रोह के प्रमुख नेता शरीफ ओसमान हादी की सिंगापुर में गोली लगने से मौत हो गई थी, जिसके बाद विरोध प्रदर्शन भड़क उठे। इन प्रदर्शनों में अखबारों के दफ्तर जलाए गए और भारत विरोधी नारे लगे। दीपू की हत्या को इसी अशांति से जोड़ा जा रहा है, हालांकि यह अलग घटना मानी गई।मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने इस हत्या की कड़ी निंदा की। सरकार के बयान में कहा गया, “मयमनसिंह में एक हिंदू व्यक्ति की लिंचिंग की हम दिल से निंदा करते हैं। नए बांग्लादेश में ऐसी हिंसा की कोई जगह नहीं है। इस जघन्य अपराध के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।” सरकार ने लोगों से हिंसा, उकसावे और नफरत का विरोध करने की अपील की। बाद में रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी) ने 7 संदिग्धों को गिरफ्तार किया और जांच जारी है।
इस घटना ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं की सुरक्षा पर फिर सवाल उठाए हैं। भारत में भी कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी और अन्य ने इसे चिंताजनक बताया। मानवाधिकार संगठनों ने कहा कि भीड़ की हिंसा बढ़ रही है और सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिए। फिलहाल इलाका तनावपूर्ण है और पुलिस सतर्क है।