बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर महागठबंधन के भीतर सीट शेयरिंग को लेकर तकरार तेज हो गई है। मुख्य विपक्षी गठबंधन यानी महागठबंधन में इस बार कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के बीच तालमेल को लेकर खींचतान जारी है। खबरों के मुताबिक, कांग्रेस ने इस बार 60 सीटों की मांग रखी है, जबकि राजद इस प्रस्ताव से सहमत नहीं दिख रही। राजद का मानना है कि पिछली बार के चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत कमजोर रहा था, इसलिए सीटों की संख्या में कटौती होना स्वाभाविक है।
कांग्रेस की ओर से कहा जा रहा है कि पार्टी पूरे प्रदेश में सक्रिय रही है और कई सीटों पर उसका जनाधार मजबूत हुआ है। पार्टी का तर्क है कि महागठबंधन को मजबूत बनाने के लिए सभी सहयोगियों को सम्मानजनक हिस्सेदारी मिलनी चाहिए। वहीं, राजद की ओर से यह कहा जा रहा है कि गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सीटों का बंटवारा उनके नेतृत्व में होना चाहिए। इस वजह से दोनों दलों के बीच अभी तक समझौता नहीं हो पाया है।
महागठबंधन के अन्य घटक दल जैसे वाम दल भी इस खींचतान को लेकर असमंजस में हैं। वामपंथी दलों का कहना है कि अगर सीट बंटवारे पर समय रहते सहमति नहीं बनी, तो यह पूरे गठबंधन की एकजुटता पर असर डाल सकता है। वहीं, कांग्रेस के प्रदेश स्तर के नेता भी दबाव बना रहे हैं कि पार्टी को कम सीटों पर समझौता नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल प्रभावित होगा।
राजद नेतृत्व अब ऐसी स्थिति में है कि उसे गठबंधन की एकता और अपनी प्रमुखता के बीच संतुलन बनाना होगा। तेजस्वी यादव चाहते हैं कि महागठबंधन एकजुट रहे, लेकिन वह कांग्रेस को इतनी अधिक सीटें देने के पक्ष में नहीं हैं जिससे राजद की चुनावी रणनीति प्रभावित हो। इसी कारण बातचीत का दौर अभी तक निर्णायक मोड़ पर नहीं पहुंच सका है।
कुल मिलाकर, बिहार महागठबंधन के भीतर सीट शेयरिंग को लेकर जारी यह रस्साकशी आने वाले दिनों में और तेज हो सकती है। अगर समय रहते कांग्रेस और राजद के बीच सहमति नहीं बनती, तो यह विपक्षी गठबंधन के लिए चुनाव से पहले बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या तेजस्वी यादव और कांग्रेस नेतृत्व इस मतभेद को दूर कर एकजुट होकर मैदान में उतरते हैं या फिर यह विवाद महागठबंधन की एकता पर भारी पड़ता है।