भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने दिसंबर 2025 में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री और महाराजगंज से सात बार के सांसद पंकज चौधरी को उत्तर प्रदेश इकाई का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया। यह नियुक्ति 13 दिसंबर को नामांकन दाखिल करने और 14 दिसंबर को औपचारिक घोषणा के साथ निर्विरोध हुई। पंकज चौधरी की ताजपोशी पार्टी की रणनीतिक सोच का नतीजा है, जो 2027 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर की गई है।मुख्य कारणों में सबसे प्रमुख है जातीय समीकरणों का संतुलन। पंकज चौधरी कुर्मी समुदाय (OBC) से आते हैं, जो उत्तर प्रदेश में यादवों के बाद सबसे बड़ा ओबीसी वर्ग है। कुर्मी वोटरों की संख्या लगभग 8-10 प्रतिशत है और यह पूर्वांचल, अवध, तराई समेत 30-40 विधानसभा सीटों पर निर्णायक प्रभाव रखता है। 2024 लोकसभा चुनावों में सपा के ‘PDA’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले से BJP को नुकसान हुआ था, जहां गैर-यादव ओबीसी वोटों में सेंध लगी। चौधरी की नियुक्ति से पार्टी नॉन-यादव ओबीसी, खासकर कुर्मी वोट बैंक को मजबूत करना चाहती है। इससे सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) की अनुप्रिया पटेल के प्रभाव को भी बैलेंस किया जा सकेगा।
दूसरा बड़ा कारण चौधरी का लंबा राजनीतिक अनुभव और संगठनात्मक निष्ठा है। वे 1991 से सात बार सांसद रहे, गोरखपुर में पार्षद और उपमहापौर रह चुके हैं। RSS से निकटता और मोदी-शाह के विश्वस्त होने से वे केंद्रीय नेतृत्व के भरोसेमंद हैं। सीनियर होने के नाते (योगी आदित्यनाथ से पहले सांसद बने) वे मुख्यमंत्री के साथ संतुलन बनाकर संगठन को मजबूत कर सकते हैं, बिना योगी की सत्ता को चुनौती दिए।
तीसरा, पूर्वांचल में मजबूत पकड़। गोरखपुर विश्वविद्यालय से पढ़े चौधरी की जड़ें पूर्वी यूपी में हैं, जहां BJP को 2024 में नुकसान हुआ। उनकी नियुक्ति से क्षेत्रीय संतुलन और जमीनी कार्यकर्ताओं को जोड़ने की कोशिश है।कुल मिलाकर, यह नियुक्ति BJP की 2027 चुनावी तैयारी का हिस्सा है – ओबीसी एकजुटता, संगठन पुनर्गठन और सपा के PDA का मुकाबला। चौधरी के सामने पंचायत चुनाव 2026 और विधानसभा 2027 में पार्टी को मजबूत करने की बड़ी चुनौती होगी।












