BSF Jawan Returns: पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर चलाया था और पाकिस्तान में घूसकर आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की गई थी। उसके बाद भारत और पाकिस्तान में बढ़ता तनाव अब कुछ कम होता दिख रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम हो गया है। हालांकि सीजफायर के बाद हालात सामान्य नजर आ रहा है लेकिन 23 अप्रैल को फिरोजपुर बॉर्डर पर पाकिस्तान रेंजर्स ने बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ को हिरासत में लिया था। 20 दिन से जवान पूर्णम कुमार शॉ को रिहा करवाने के लिए बीएसएफ अधिकारियों की तरफ से कई बार पाक रेंजर्स के साथ फ्लैग मीटिंग भी की जा चुकी हैं, लेकिन अब वो सकुशल वापस अपने देश लौट आए हैं। करीब 21 दिन बाद बीएसएफ जवान की वापसी से उनके परिजनों के साथ पूरे देश ने राहत की सांस ली है। पीएम मोदी की चेतावनी और भारत की सख्ती का ही असर हुआ कि पाकिस्तान को ये कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
23 अप्रैल को वर्दी और राइफल के साथ हिरासत में जवान
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, घटना के समय जवान वर्दी में 82वीं बटालियन फिरोजपुर में तैनात था। उसके पास सर्विस राइफल थी। हुगली के रिशरा के हरिसभा इलाके के रहने वाले साहू कथित तौर पर सीमा के पास किसानों के एक समूह के साथ थे। इस दौरान शॉ की तबीयत खराब हो गई और वह एक पेड़ के नीचे आराम करने के लिए आगे बढ़े और अनजाने में पाकिस्तान क्षेत्र में चले गए, जहां उन्हें पकड़ लिया गया।
पत्नी ने जताई थी उम्मीद
पूर्णम कुमार की पत्नी राजनी ने उम्मीद जताई थी कि डीजीएमओ की बातचीत में पूर्णम कुमार के मुद्दे को उठाया जाएगा। उन्होंने कहा था, जब भारतीय सेना ने 3 मई को एक पाकिस्तानी रेंजर को राजस्थान में हिरासत में लिया, तब लगा था कि शायद मेरे पति को भी छोड़ा जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब DGMO वार्ता से नई उम्मीद जगी है। राजनी ने यह भी कहा था कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को उन्हें फोन किया और हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री ने उनके ससुरावालों की चिकित्सा सहायता की भी बात कही।