US Strikes on Iran: ईरान और इजरायल की जंग में अब अमेरिका भी शामिल हो गया है। 22 जून 2025 को, अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों फोर्डो, नतांज, और इस्फहान पर हमले की पुष्टि की है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर घोषणा करते हुए कहा कि “ये हमले B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स का उपयोग करके किए गए, जिसमें GBU-57 बंकर बस्टर बमों का इस्तेमाल हुआ। ये हमले इजरायल के साथ मिलकर किए गए, जो 13 जून 2025 से ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर ऑपरेशन राइजिंग लॉयन के तहत हमले कर रहा है।”
युद्ध में उतरा अमेरिका
हमले के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने बयान में कहा,”सभी अमेरिकी विमान अब ईरान की हवाई सीमा से बाहर निकल चुके हैं और सुरक्षित घर लौट रहे हैं. सबसे ज्यादा बम फोर्डो नाम की साइट पर गिराए गए। हमारे महान योद्धाओं को बधाई! दुनिया की कोई और सेना ऐसा नहीं कर सकती।”
ईरानी मीडिया ने की हमले की पुष्टि
फोर्डो, नतांज और इस्फहान को ईरान के परमाणु कार्यक्रम का आधार माना जाता है। अमेरिका ने B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स से 6 GBU-57 बंकर बस्टर बम गिराए, जो गहरे भूमिगत ठिकानों को नष्ट करने में सक्षम हैं। ये विमान हिंद महासागर के डिएगो गार्सिया एयरबेस से उड़े।
ईरानी सरकारी मीडिया फार्स और IRNA ने हमलों की पुष्टि की, लेकिन नुकसान की पूरी जानकारी नहीं दी। ईरान ने जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है, जिसमें क्षेत्रीय अमेरिकी ठिकानों और लाल सागर में अमेरिकी जहाजों को निशाना बनाने की बात शामिल है।
इजरायल और ईरान के बीच घमासान
इजरायल और ईरान के बीच 13 जून 2025 से युद्ध चल रहा है, जब इजरायल ने ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमला शुरू किया था। अमेरिका ने शुरू में युद्ध में सीधे शामिल होने से इनकार किया, लेकिन ट्रंप ने 17 जून को तेहरान के नागरिकों को शहर खाली करने की चेतावनी दी थी। ईरान ने इजरायल पर हाइपरसोनिक मिसाइलों (फत्ताह-1) और बैलिस्टिक मिसाइलों से जवाबी हमले किए, जिसमें तेल अवीव में एक अस्पताल सहित कई लक्ष्य प्रभावित हुए।
ट्रंप ने किया बड़ा दावा
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने इजरायल के हमलों को “युद्ध अपराध” करार दिया और कहा कि अमेरिका से बातचीत तब तक संभव नहीं, जब तक हमले रुक नहीं जाते। हालांकि, वे यूरोपीय देशों से बातचीत के लिए तैयार हैं। ईरान ने परमाणु अप्रसार संधि (NPT) से हटने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसे उसने 1970 में स्वीकार किया था। अमेरिका और इजरायल के हमलों से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बड़ा नुकसान होने की बात कही जा रही है, लेकिन ईरान का दावा है कि उसकी सैन्य क्षमता बरकरार है। ट्रंप ने दावा किया कि फोर्डो “खत्म हो गया,” लेकिन ईरान ने नुकसान की पूरी जानकारी नहीं दी। क्षेत्र में तनाव चरम पर है, और वैश्विक समुदाय, विशेष रूप से G7 देश, ईरान से परमाणु कार्यक्रम छोड़ने की मांग कर रहे हैं।