नई दिल्ली: साम्राज्यवादी चीन ताइवान को मिलाने के लिए बल प्रयोग की धमकी दी है बता दें कि चीन और ताइवान एक दूसरे की संप्रभुता को स्वीकार नहीं करते और ये दोनों ही देश अपने आप को वास्तविक चीन मानते हैं । दरअसल चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बुधवार को कहा है कि चीन आखिरकार इस द्वीप को अपने भूभाग से मिलायेगा और साथ ही ये भी कहा कि इस बीच अगर कोई बाहरी देश इस पर दखल देने की कोशिश करता है तो चीन उससे निपटने के लिए अपने विकल्प खुले रखेगा ।
ताइवान को चीन अपना विद्रोही राज्य कहता है । अगर इनके नाम पर गौर करें तो पता चलता है कि जहां चीन का नाम पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना है तो वहीं जिसे दुनिया ताइवान के नाम से जानती है उसका ऑफिलियल नाम रिपब्लिक ऑफ चाइना है।
पर बात इस बात की नहीं, बल्कि सवाल तो इस बात को लेकर है । कि दक्षिण चीन सागर से लेकर हिंद महासागर के रास्ते दुनिया को ठेंगा दिखाते हुए साम्रज्यवादी रवैया दिखाकर दुनिया को ललकारने वाला चीन अगर दुनिया की महाशक्ति बनेगा तो क्या उस स्थिति में विश्व के छोटे छोटे देशों की संप्रभुता क्या सुरक्षित रह पायेगी । क्योंकि अभी से ही जो स्थिति देखने को मिल रही है। और जिस प्रकार चीन, आफ्रिका और दक्षिण अमेरिका के साथ पूर्वी एशिया और दक्षिण एशिया के देशों को भारी भरकम कर्ज में लादकर उनकी जमीन व प्रकृतिक संसासन हथियाने में अमादा है। उससे यह कहना मुस्किल नहीं कि चीन दुनिया में लोकतांत्रिक प्रणाली और पूरी विश्व की संप्रभुता के लिए घातक है।