नई दिल्ली : WHO के मुताबिक, दुनियाभर के 204 देश कोरोना वायरस जैसी महामारी से संक्रमित है। वहीं आठ लाख से ज्यादा लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं और अब तक दुनियाभर में 42000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। अब तक डेढ़ लाख लोगों का इलाज भी किया जा चुका है।
भारत में अब तक 1397 मामले
भारत में अब तक कोरोना वायरस संक्रमण के 1397 मामले सामने आ चुके हैं। अब तक 35 लोगों की मौत हो चुकी है और 123 लोगों का इलाज किया जा चुका है या उन्हें अस्पताल से घर भेज दिया गया है।
कैसे हो रहा है कोरोना का इलाज
WHO की तरफ से कहा जा रहा है अभी तक कोरोना वायरस से निपटने की कोई दवा तैयार नहीं हो पाई है तो ऐसे में संक्रमित लोगों का ईलाज कैसे हो रहा है, और लोग ठीक कैसे हो रहे हैं, फिलहाल जो लोग वायरस संक्रमण की वजह से अस्पतालों में भर्ती हैं उनका इलाज किन लक्षणों के आधार पर किया जा रहा है।
कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने गाइडलाइंस जारी की हैं। इनके मुताबिक, अलग-अलग लक्षणों वाले लोगों के इलाज के लिए अलग-अलग ट्रीटमेंट बताए गए हैं और दवाओं की मात्रा को लेकर भी सख्त निर्देश दिए गए हैं।
अगर किसी को नॉर्मल खांसी या जुकाम है और हलके बुखार
बुखार के लक्षण दिख रहे हैं तो मरीज को तुरंत अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं है। उन्हें दवाई देकर उनका इलाज जारी किया जा सकता हैं, लेकिन जिन मरीजों को निमोनिया या गंभीर निमोनिया हो, सांस लेने में परेशानी हो, किडनी या दिल की बीमारी हो या फिर कोई भी ऐसी समस्या जिससे जान जाने का खतरा हो, उन्हें तुरंत आईसीयू में भर्ती करने और इलाज के निर्देश दिए गए हैं। बता दें साथ ही ये भी बताया गया है कि कौन सी दवा किस मरीज पर इस्तेमाल करनी है इसको लेकर भी शख्त निर्देश दिए गए हैं, डॉक्टर किसी भी मरीज को अपने मन मुताबिक दवाएं नहीं दे सकते।
मरीजों के इलाज के लिए गाइडलाइन
अस्पतालों में अब तक जो भी मरीज भर्ती हुए हैं उन्हें लक्षणों के आधार पर ही दवाएं दी गई हैं । अस्पताल में भर्ती मरीजों को आइसोलेट करके रखा जा रहा है जिससे उनके जरिए किसी और तक ये वायरस न पहुंचे।
गंभीर मामलों में अब तक इस वायरस में देखा गया है इसकी वजह से फेफड़ों में जलन जैसी समस्या होने लगती है। ऐसी स्थिति में मरीज को सांस लेने में परेशानी हो जाती हैं। वहीं बेहद गंभीर स्थिति वाले मरीजों को ऑक्सीजन मास्क लगाए जाने की जरूरत होती है और हालत बिगड़ने पर इन्हें वेंटिलेटर पर रखा जाता हैं। एक अनुमान के मुताबिक, चार में से एक मामला इस हद तक गंभीर होता है कि उसे वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत पड़ती है।
कब तक आ सकती है दवाई
कोरोना वायरस के इलाज को लेकर वैक्सीन कब तक आएगी इसकी कोई स्पष्ट सीमा नहीं है। कई देश कोरोना वायरस से निपटने के लिए दवा बनाने की कोशिश में जुटे हैं लेकिन कामयाबी अभी तक नहीं मिल पाई है। इसके पहले फैले सार्स वायरस को लेकर भी अब तक कोई सटीक वैक्सीन नहीं बनाई जा सकी है। ऐसे में कोरोना की दवा जल्द बन जाएगी इस पर काम तेजी से चालू है।
दूसरी ओर कुछ लोग ये भी कह रहे हैं कि जब लक्षणों के आधार पर इलाज हो रहा है तो फिर इसके लिए अलग से दवा बनाने की क्या जरूरत है। और लोग ठीक भी हो रहे हैं।