नई दिल्ली : देश में रोज़गार के गंभीर संकट उत्पन्न हो गए हैं। एक तरफ जहाँ केंद्र की मोदी सरकार द्वारा युवाओं को रोज़गार मुहैया करवाने की दिशा में प्रयास किये जाने का दावा किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ कई सेक्टरों में मंदी के कारण लाखों लोगों की नौकरी पर तलवार लटक रही है, जिससे निपटने में सरकार असक्षम नज़र आ रही है। मंदी की मार झेल रहे ऑटो सेक्टर में कार्यरत करीब 10 लाख कर्मचारियों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है।
आपको बता दें कि ऑटो सेक्टर में लागातार मंदी देखी जा रही है। वाहन खरीदने की दर में लागातार कमी देखने को मिल रही है, जिसके कारण ऑटो सेक्टर की कंपनियों को घाटे का सामना करना पड़ रहा है। देश के ऑटो सेक्टर की सबसे बड़ी कंपनी मारुति सुजुकी ने अपने 3,000 से ज्यादा अस्थायी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है, जिससे इन कर्मचारियों के सामने रोज़ी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गयी है।
अस्थायी कर्मचारियों की छंटनी पर मारुति सुजुकी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने कहा कि इन दिनों ऑटो सेक्टर में नरमी देखने को मिल रही है, जिसके कारण अस्थायी कर्मचारियों के कॉन्ट्रैक्ट को रिन्यू नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि ये सतत चलने वाली प्रक्रिया है। जब कंपनी में डिमांड बढती है तो कंपनी अस्थायी तौर पर कर्मचारियों की बहाली करती है, वहीं डिमांड कम होने पर अस्थायी कर्मचारियों की छंटनी की जाती है। उन्होंने कहा कि इससे स्थाई कर्मचारियों की नौकरी पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
सोसाइटी ऑफ़ इंडियन ऑटमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक देश भर में वाहनों की कमी में लागातार गिरावट देखने को मिल रही है, जिससे ऑटो सेक्टर बेहाल है। सियाम के अनुसार पिछले साल जुलाई की तुलना में इस साल जुलाई में कारों की बिक्री 35.95 फीसदी गिरी है। इसी तरह दुपहिया वाहनों की बिक्री में भी कमी देखने को मिली है।