नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित ने रविवार को चेन्नई में एक कार्यक्रम में शिरकत की। इस कार्यक्रम में उन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को खत्म करने वाले बिल को पेश करने के दौरान की अपनी मनोदशा के बारे में बताया।
दरअसल, अमित शाह ने चेन्नई में राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू की जिंदगी पर लिखी गई एक किताब “Listening, Learning and Leading” का विमोचन किया। विमोचन करते हुए अमित शाह ने कहा, ” आंध्र के विभाजन का दृश्य आज भी देश की जनता के सामने है। मेरे मन में थोड़ी आशंका थी कि कहीं ऐसे दृश्य का हिस्सेदार मैं भी तो नहीं बनूंगा। इसी यही भाव के साथ, इसी डर के साथ मैं राज्यसभा में खड़ा हुआ। वेंकैया जी की कुशलता का ही परिणाम है कि सभी विपक्ष के मित्रों को सुनते-सुनते इस बिल को डिवीजन तक, कहीं भी कोई ऐसा दृश्य खड़ा नहीं हुआ जिसके कारण देश की जनता को ये लगे कि उच्च सदन की गरिमा नीचे आई है।”
गृह मंत्री ने बिल को पेश करने की योजना के बारे में बताते हुए कहा कि राज्यसभा में हमारा पूर्ण बहुमत नहीं है, फिर भी मैंने तय किया था कि बिल पहले हम राज्यसभा में लेकर जाएंगे, उसके बाद लोकसभा में लेकर जाएंगे।